
मेरठ एंटी करप्शन कोर्ट ने सुनवाई के बाद रिश्वत की रकम कोषागार में जमा कराने का आदेश दिया, साढ़े तीन करोड़ की नकली दवाएं बरामद (फोटो सोर्स : Social Media / Whatsapp)
UP STF Agra Pharma Mafia Arrested: आगरा में स्वास्थ्य व्यवस्था से खिलवाड़ कर करोड़ों की अवैध कमाई करने वाले दवा माफिया हिमांशु अग्रवाल को जेल भेज दिया गया है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ (UPSTF) और ड्रग विभाग की संयुक्त कार्रवाई में पकड़े गए हिमांशु पर आरोप है कि उसने जाँच एजेंसियों को गुमराह करने और कार्रवाई रोकने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की थी। सोमवार को मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जहां अदालत ने रिश्वत की रकम कोषागार में जमा कराने के आदेश जारी किए।
जाँच में सामने आया है कि हिमांशु अग्रवाल और उसके सहयोगियों का एक बड़ा नेटवर्क था, जो लंबे समय से आगरा और आसपास के जिलों में नकली और निम्नस्तरीय दवाओं की आपूर्ति कर रहा था। करीब साढ़े 3 करोड़ रुपये मूल्य की नकली दवाएं बरामद की गई हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर थोक विक्रेताओं और खुदरा दुकानों तक पहुँचाने की योजना थी। ड्रग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जब छापेमारी की गई तो कई ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर तैयार नकली दवाओं का स्टॉक मिला, जिनमें एंटीबायोटिक्स, पेनकिलर्स और हृदय रोग की दवाएं शामिल थीं। “यह केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि आम जनता की जान के साथ सीधा खिलवाड़ है,” एक अधिकारी ने कहा।
सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद हिमांशु अग्रवाल ने STF और ड्रग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई रोकने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की। जांच एजेंसियों ने इस प्रयास का वीडियो और ऑडियो साक्ष्य इकट्ठा किया और तुरंत मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट को सूचित किया। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए आरोपी को जेल भेजने का आदेश दिया और रिश्वत की रकम कोषागार में जमा कराने के निर्देश जारी किए।
सुनवाई के दौरान मेरठ एंटी करप्शन कोर्ट ने कहा कि दवा माफिया का अपराध केवल वित्तीय हेरफेर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे समाज के स्वास्थ्य पर हमला है। अदालत ने टिप्पणी की, “जनता के जीवन से खिलवाड़ करने वाले ऐसे आरोपियों को किसी भी कीमत पर राहत नहीं मिलनी चाहिए।”कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब्त की गई नकली दवाओं को नियमानुसार नष्ट किया जाए और पूरे नेटवर्क की जांच के लिए उच्चस्तरीय टीम गठित की जाए।
इस कार्रवाई में STF और ड्रग विभाग की कई टीमों ने अहम भूमिका निभाई। अधिकारियों के अनुसार, पिछले कई महीनों से हिमांशु अग्रवाल और उसके नेटवर्क पर निगरानी रखी जा रही थी। मोबाइल कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजैक्शन और गोदामों की गतिविधियों की गहन निगरानी के बाद छापेमारी की योजना बनाई गई।
एक वरिष्ठ STF अधिकारी ने बताया, “हिमांशु लंबे समय से बाजार में नकली दवाओं की आपूर्ति कर रहा था। उसने अधिकारियों को गुमराह करने के लिए कई फर्जी लाइसेंस और शेल कंपनियों का सहारा लिया। कार्रवाई से बचने के लिए उसने एक करोड़ रुपये रिश्वत देने की कोशिश की, लेकिन हम सतर्क थे।”
घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में भी हड़कंप मच गया है। विभाग ने आगरा और आसपास के जिलों में दवा वितरकों और होलसेल डीलरों के लाइसेंस की समीक्षा शुरू कर दी है। ड्रग कंट्रोलर ने साफ कहा है कि जिन दुकानों या डीलरों पर हिमांशु के नेटवर्क से जुड़ाव के सबूत मिलेंगे, उनके लाइसेंस तत्काल रद्द किए जाएँगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि नकली या निम्नस्तरीय दवाओं का उपयोग न केवल इलाज को असफल बनाता है बल्कि मरीज की जान भी खतरे में डाल सकता है। आगरा मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, “नकली दवाएं सही मात्रा में सक्रिय तत्व नहीं देतीं, जिससे गंभीर संक्रमण या रोग बढ़ सकता है। यह एक तरह से धीमा ज़हर है।”
STF सूत्रों के मुताबिक हिमांशु अग्रवाल के नेटवर्क में कई अन्य लोग भी शामिल हैं। पुलिस ने कुछ संदिग्ध थोक दवा विक्रेताओं और एजेंटों की पहचान की है, जिन पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है। बैंक खातों और संपत्तियों की जांच भी की जा रही है ताकि अवैध कमाई का पता चल सके।
Published on:
26 Aug 2025 12:31 pm
बड़ी खबरें
View Allआगरा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
