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Ajmer: दिवाली से पहले 40 से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान सीज, ADA की कार्रवाई से व्यापारियों में मचा हड़कंप

Ajmer News: भारी पुलिस जाब्ते की मौजूदगी में अजमेर विकास प्राधिकरण ने अवैध रूप से बनी 40 से अधिक दुकानों को सीज किया।

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अजमेर। दिवाली से पहले अजमेर विकास प्राधिकरण ने आज अवैध अतिक्रमण को लेकर बड़ी कार्रवाई की। भारी पुलिस जाब्ते की मौजूदगी में अजमेर विकास प्राधिकरण ने अवैध रूप से बनी 40 से अधिक दुकानों को सीज किया। अवैध अतिक्रमण के खिलाफ यह कार्रवाई अजमेर के सेवन वंडर्स के पास पर रीजनल कॉलेज के सामने चौपाटी पर की गई। इससे व्यापा​रियों में हड़कंप मच गया।

अजमेर विकास प्राधिकरण के उपायुक्त भरत गुर्जर सुबह 6 बजे से आनासागर रीजनल कॉलेज चौपाटी पर पहुंचे। यहां बने अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई करते हुए रेस्टोरेंट, समारोह स्थल, शराब ठेका सहित 40 से अधिक व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर नोटिस चस्पा किया। इस दौरान तहसीलदार सुनीता चौधरी, ओमसिंह लखावत सहित पुलिस का अतिरिक्त जाब्ता भी मौके पर मौजूद रहा।

3 घंटे तक चली कार्रवाई

अवैध निर्माण को अजमेर विकास प्राधिकरण की कार्रवाई करीब 3 घंटे तक चली। अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारी सुबह 6 बजे मौके पर पहुंचे और 9 बजे तक 40 से अधिक व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर नोटिस चस्पा किया। इस दौरान टीम को व्यापारियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। रेस्टोरेंट संचालकों ने विरोध जताते हुए कहा कि सेवन वंडर्स पर कार्रवाई क्यों नहीं?

दुकानों पर चिपकाए नोटिस में क्या?

नोटिस में लिखा है कि अजमेर विकास प्राधिकरण अधिनियम 2013 अन्तर्गत धारा 17, 30,31,32,33,34 सपठित धारा 35 ए प्राधिकृत अधिकारी अजमेर विकास प्राधिकरण अजमेर की ओर से पारित आदेश 22 अक्टूबर 2024 की पालना में बिना प्राधिकरण से स्वीकृति प्राप्त किए, बिना मानचित्र स्वीकृत कराए, बिना भू-उपयोग परिवर्तन कराए तथा इस संबंध में सक्षम विभागों से अनुमति/अनुज्ञा प्राप्त अवैध रूप से व्यवसायिक गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक सीज किया जाता है।

व्यापारी ने सुनाई अपनी पीड़ा

कार्रवाई के दौरान मौके पर व्यवसायी अर्जुन छत्तवानी ने अपनी पीड़ा सुनाते हुए कहा कि सरकारी अफसर कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहे है। उन्होंने कहा कि 2000 में अपील पर फैसला आया था कि सेम कायम रहने दे। डीजे कोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने भी फैसला सुनाया। ये कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। मैंने नोटिस का भी रिटर्न में जवाब दिया। लेकिन, अधिकारी कहते है कि उसकी कॉपी फर्जी है। अंत में उन्होंने कहा कि 1980 की रजिस्टरी है। यह सरकारी जमीन नहीं है, यह खातेदारी की जमीन है।

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