दिल्ली में रहे विदेशियों के बीच
भारतीय खो-खो महासंघ की ओर से एशियन फैडरेशन के साथ मिलकर गत 23 फरवरी से दिल्ली में एक माह के फस्र्ट लेवल इंटरनेशनल कोचिंग कैंप का आयोजन किया गया था। जिसमें अजमेर से जुड़े राजस्थान खो-खो संघ के पदाधिकारी व फैडरेशन के चीफ रैफरी सहित सरकारी स्कूल के एक शारीरिक शिक्षक ने भी शिरकत की थी। इस कैंप में इंग्लैंड, साउथ कोरिया, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया, घाना, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान व श्रीलंका सहित दुनिया भर के दो दर्जन देशों को भेजे गए बुलावे में से 16 देशों के 66 प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
रहे क्रिटिकल जोन में! इसी तरह दिल्ली में मार्च के मध्य में आयोजित भारतीय टेबल-टेनिस फैडरेशन की एजीएम में अजमेर के एक इंटरनेशनल रैफरी व एक अन्य वरिष्ठ खेल प्रशासक भी भाग लेकर लौटे हैं। इन सभी के दिल्ली जाने,वहां रहने और लौटने तक जाहिर है, ये सभी क्रिटिकल जोन की जद में रहे हैं। अजमेर लौटने के बाद से इनमें से एक पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं और उपचार ले रहे हैं। हालांकि वे खुद की अस्वस्थता के लक्षणों को मौजूदा संक्रमण से इतर एक साल पूर्व से बताते हैं।
इनका स्क्रीनिंग का दावा उधर, खो-खो के इंटरनेशनल कोचिंग कैंप का आयोजन करने वाली खो-खो फैडरेशन के महासचिव कैंप में शामिल सभी विदेशी डेलीगेट्स की कैंप में शामिल होने से पहले ही मेडिकल स्क्रीनिंग करवाए जाने का दावा करतै हैं। शुक्रवार को फैडरेशन के जनरल सैकेट्री एम.एस.त्यागी से बातचीत में उन्होंने अजमेर से चीफ रैफरी का शामिल होना स्वीकार करते हुए कहा कि 23 फरवरी से शुरू हुए कैंप में शामिल सभी 66 विदेशी डेलीगेट्स की स्क्रीनिंग करवा ली गई थी। इसे लेकर फैडरेशन पूरी तरह सचेत रही है और हमने कोई जोखिम नहीं उठाया।
.. . लेकिन यहां उठा लिया रिस्क अगर विदेशियों की स्क्रीनिंग कराने बाबत त्यागी का दावा सच मान भी लिया जाए तो अजमेर के चीफ रैफरी भी विदेशियों के बीच से ही अजमेर पहुंचे हैं। ऐसे में उन्हें छोड़ दिया जाना या उनके द्वारा स्वयं की पहल पर स्क्रीनिंग नहीं करवाया जाना तो जोखिम भरा ही है।