
मनीष कुमार सिंह
Food Security Scheme : बाबुल का आंगन छोड़कर बेटियां विदा तो हुई लेकिन खाद्य सुरक्षा योजना में उनका ‘निवाला’ रसद विभाग के पोर्टल में अटक कर रह गया है। खाद्य सुरक्षा योजना पोर्टल बंद होने से ना केवल अजमेर जिले में बल्कि प्रदेशभर में हजारों की संख्या में नवविवाहित ‘बेटियों’ के नाम योजना व राशन कार्ड में जुड़ने से वंचित रह गए। ऐसे में पीहर से ससुराल पहुंची बिटिया को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
अप्रेल, मई, जून व जुलाई में आखातीज, पीपल पूर्णिमा, भड़लिया नवमी के सावों पर प्रदेश में लाखों बेटियां विदा होकर ससुराल तो गई लेकिन उन्हें मायके में मिलने वाला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का गेहूं भी पीछे छूट गया। मायके की ओर से रसद विभाग से एनओसी लाडो के ससुराल भेज दी लेकिन जुलाई में पोर्टल बंद होने से नवविवाहिताओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अजमेर जिले में रसद विभाग ने चार माह में साढ़े 4 हजार से ज्यादा की एनओसी तो जारी कर दी लेकिन पोर्टल बंद होने से बड़ी संख्या में बेटियां नाम जुड़ाने से वंचित रह गई।
पत्रिका पड़ताल में आया कि शेरसिंह को बेटी का नाम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना व राशन कार्ड से कटवाने में भी पसीने आ गए। आवेदन करने के एक माह गुजरने के बाद एनओसी मिली। एनओसी मिलने पर ससुराल पक्ष ने फार्म भरा लेकिन उससे पहले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का पोर्टल राज्य सरकार ने अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया।
अकेले अजमेर जिले में सावों के बाद 4500 यूनिट की एनओसी रसद विभाग की ओर से जारी की जा चुकी है लेकिन जोड़ने का काम नहीं हुआ। जारी की गई एनओसी से आधों के नाम फिर से ससुराल या अन्यत्र जुड़ने के लिए आवेदन भी आए लेकिन उससे पहले राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना का पोर्टल बंद कर लिया।
विभाग की ओर से जारी एनओसी वाले नाम एनएफएसए पोर्टल खुलने के बाद ही शामिल किए जा सकते है। जुलाई में पूर्व निर्धारित लक्ष्य प्राप्त होने के बाद पोर्टल बंद कर दिया गया। पोर्टल खुलने के बाद ही आगे कार्रवाई संभव हो सकेगी।
हेमन्त आर्य, जिला रसद अधिकारी द्वितीय
Published on:
26 Oct 2024 04:09 pm
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