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अजमेर. राजस्व मंडल निबन्धक ने अधीनस्थ न्यायलयों के मूल अभिलेख (रिकॉर्ड) मंगवाए जाने के सम्बन्ध में निर्देश जारी किए हैं। अब निगरानीकर्ता अधीनस्थ राजस्व अदालत के समस्त निर्णय एवं दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां मंडल में प्रस्तुत कर सकते हैं। इससे मूल पत्रावली तलब किए जाने में लगने वाले समय की बचत होगी एवं प्रकरण जल्द निस्तारित हो सकेंगे। निबन्धक ने यह भी निर्देश इसलिए दिए हैं कि कई बार प्रकरणों में स्टे नहीं होने के बावजूद मुकदमें की फाइल निचली अदालत से तलब कर ली जाती है। जिससे अधीनस्थ अदालत में बिना स्थगन ही समस्त कार्यवाही ठप हो जाती है, यह ठीक नहीं है। इससे निचली अदालतों में पेडेंसी बढ़ती है।
मृतकों के वारिसों को नोटिस भेजें
निबन्धक के अनुसार रेफरेंस प्रकरणों में पक्षकारों की मृत्यु होने पर समय पर उनके वारिसों को सूचना नहीं दी जाती है जिससे न्यायिक कार्य बाधित होता है। निबन्धक ने कानूनी प्रावधानों के अनुसार संसोधित टाइटल सहित मृतक पक्षकार के वारिसों को तामील के लिए नोटिस भिजवाए जाने के निर्देश दिए हैं।
तहसीलदार ही प्रस्तुत करें बंटवारा दावा
निबन्धक ने यह भी निर्देश दिए हैं कि बंटवारे के दावे में तहसीलदारों द्वारा समय पर बंटवारा दावा प्रस्तुत नहीं करते हैं एवं भू-अभिलेख निरीक्षक एवं पटवारी द्वारा तैयार रिपोर्ट को काउंटर साइन कर भेज देते हैं। यह गंभीर लापरवाही है। इस तकनीकी त्रुटि क इसके कारण प्रकरणों में देरी होती है। इस सम्बन्ध में राजस्व मंडल द्वारा पारित वृहदपीठ के निर्णय कैलाश बनाम रमेश् की पालना बाबत निर्देेश दिए हैं।
स्थगन में हस्तक्षेप उचित नहीं
निबन्धक ने स्थगन सम्बन्धी मामलों में यह निर्देश दिए हैं कि सहायक कलक्टर/ उपखंड अधिकारी द्वारा तारीख देने तक दिए गए स्थगन आदेश के विरुद्ध राजस्व अपील अधिकारी तथा उच्चतर राजस्व न्यायालय हस्तक्षेप करते हैं। यह उचित नहीं कहा जा सकता। इस बाबत भी निबन्धक ने राजस्व मंडल द्वारा पारित जगदीश बनाम गोपाल दास के अनुसार निर्णय पारित करने के निर्देश दिए हैं।
कैवियट के समबन्ध में निर्देश
निबन्धक ने कै वियट प्रार्थना पत्रों के सम्बन्ध में निर्देश दिए है कि कैवियट प्राथर्ना पत्रों पर अंकित निगरानी याचिका प्रस्तुत होने पर पूर्ण मिलान कर के यह अंकित किया जाना चाहिए। जिससे निगरानी अथवा अपील नहीं होने की वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके। यदि आदेश की पालना नहीं की गई है तो सम्बन्धित कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
रेंफरेंस की एक प्रति राजस्व मंडल में रखे सुरक्षित
निबन्धक ने रेफरेंस प्रकरणों में यह निर्देश दिए हैं कि राजस्व मंडल से भी रेफरेंस का फैसला होने पर ही रेफरेंस की मूल पत्रावली ही समबन्धित न्यायालय को भेज दी जाती है। जिस कारण राजस्व मंडल के फैसले के विरूद्ध यदि पक्षकार नजरसानी याचिका प्रस्तुत करना चाहे अथवा राजस्व मंडल के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती प्रस्तुत करना चाहे तो उसे रेंफरेंस की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त नहीं हो पाती। इससे पक्षकारों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। निबन्धक ने निर्देश दिए हैं कि रेफरेंस प्रकरणों में अंतिम निर्णय के बाद मूल रेफरेंस की एक प्रति राजस्व मंडल में सुरक्षित रखी जाए।
Published on:
13 Aug 2021 10:08 pm
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