विश्वविद्यालय 2019 में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं के ऑनलाइन फार्म भरवाएगा। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों में अध्ययनरत प्राइवेट और नियमित विद्यार्थी शामिल हैं। कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने परीक्षा विभाग को फार्म भरवाने की तैयारी शुरू करने को कहा है। इसको लेकर विभाग जल्द उच्च स्तरीय बैठक कराने में जुट गया है।
दो चरणों में फार्म भरवाने की योजना विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं के परीक्षा फार्म एक साथ भराता है। इससे कॉलेज में भी हार्ड कॉपी जमा कराने वालों की भीड़ बढ़ती है। साथ ही ई-मित्र और बैंकों में भी जबरदस्त परेशानियां होती हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय दो चरणों में फार्म भरवाने की योजना बना रहा है। इसके तहत पहले चरण में प्रथम-द्वितीय वर्ष और स्नातकोत्तर कक्षाओं के परीक्षा फार्म भरवाए जाएंगे। जबकि दूसरे चरण में सिर्फ तृतीय वर्ष और व्यावसायिक परीक्षाओं के फार्म भरे जाएंगे। इसकी कार्ययोजना बनाकर कुलपति को सौंपी जाएगी।
पिछले साल हुआ था विलम्ब बीते वर्ष परीक्षा फार्म भरने में विलम्ब हुआ था। तत्कालीन कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने सालाना परीक्षा फार्म भरवाने से पहले विद्यार्थियों के एनरोलमेंट कराने के निर्देश दिए थे। इसके चलते विश्वविद्यालय की परेशानियां बढ़ गई। प्रक्रिया को लेकर जबरदस्त परेशानियां हुई। बाद में प्रशासन को इस निर्णय को टालना पड़ा था। इसके चलते नवम्बर में फार्म भरवाने शुरु हुए थे। मालूम हो कि साल 2016 में 31 अगस्त से ऑनलाइन परीक्षा फार्म भरवाने शुरू हुए थे। नोटबंदी से पहले विश्वविद्यालय ने करीब 95 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया था।
बहुत मुश्किल है इनकी जिंदगी को बचाना मानसून की बेरूखी और कम बरसात से इस बार पौधों पर संकट मंडरा सकता है। वन विभाग ने जिले में पौधरोपण कराया है, लेकिन तेज धूप और पानी की कमी पौधों को नुकसान पहुंचाएगी। ऐसे में साल भर पौधों की सार-संभाल करना आसान नहीं है।
वन विभाग प्रतिवर्ष बरसात के दौरान जिले में फलदार, छायादार और पुष्पीय पौधे लगाता है। यह कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट-गाइड, सरकारी महकमों, शैक्षिक संस्थाओं के जरिए होता है। इस बार भी विभाग ने विभिन्न पौधशाला में कई प्रजातियों के पौधे तैयार कराए। साथ ही जुलाई से पौधरोपण कार्य शुरू कर दिया। लेकिन इस बार अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ही मानसून सुस्त पड़ गया है। सितम्बर के पहले सप्ताह तक जिले में सिर्फ 265 मिलीमीटर बरसात हुई है। जबकि जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है।
वन विभाग प्रतिवर्ष बरसात के दौरान जिले में फलदार, छायादार और पुष्पीय पौधे लगाता है। यह कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट-गाइड, सरकारी महकमों, शैक्षिक संस्थाओं के जरिए होता है। इस बार भी विभाग ने विभिन्न पौधशाला में कई प्रजातियों के पौधे तैयार कराए। साथ ही जुलाई से पौधरोपण कार्य शुरू कर दिया। लेकिन इस बार अगस्त के दूसरे पखवाड़े में ही मानसून सुस्त पड़ गया है। सितम्बर के पहले सप्ताह तक जिले में सिर्फ 265 मिलीमीटर बरसात हुई है। जबकि जिले की औसत बरसात 550 मिलीमीटर है।