अजमेर. नवें दीक्षांत समारोह (convocation) में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) को फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ेगा। पूर्व निर्धारित दीक्षा मंत्र कई त्रुटियां हैं। लिहाजा विश्वविद्यालय विद्यार्थियों-शोधार्थियों से हिंदी में ही दीक्षा मंत्र बुलवाने का इच्छुक है।
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विश्वविद्यालय ने वर्ष 1997-98 में प्रथम दीक्षान्त समारोह (convocation ceremnoy) में संस्कृत में दीक्षा मंत्र बोलने की शुरुआत की थी। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari vajpayee) शामिल हुए थे। यह सिलसिला 2009 तक पांचवें दीक्षान्त समारोह तक चला। मंत्र के शब्दों में कथित त्रुटियां होने की जानकारी मिली तो तत्कालीन कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी (kailash sodani) ने इसे बंद करा दिया। छठे, सातवें और आठवें दीक्षान्त समारोह में मंत्र नहीं पढ़ा गया।
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हिंदी में बुलवाएं मंत्र
दीक्षा मंत्र में त्रुटियों की जानकारी कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (prof r.p.singh) के पास भी पहुंची है। वे भी 3 दिसंबर को होने वाले दीक्षांत समारोह में कोई खतरा मोल लेने के इच्छुक नहीं है। समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र (kalraj mishra), उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी सहित कई अति विशिष्ट और विशिष्ट अतिथि हिस्सा लेंगे। कुलपति प्रो. सिंह ने बताया कि वे हिंदी भाषा में दीक्षा मंत्र बुलवाने के इच्छुक हैं।
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पारम्परिक परिधान लागू
विश्वविद्यालयों में दीक्षान्त समारोह के दौरान पारम्परिक परिधान (traditional dress) पहने की शुरुआत हो चुकी है। इसके तहत छात्रों के लिए कुर्ते-पायजामे, छात्राओं के लिए लाल किनारी वाली सफेद साड़ी या सफेद सलवार सूट लागू किया गया है। मालूम हो कि पहले ब्रिटिशकालीन (british india) परम्परा के तहत दीक्षान्त समारोह में काला रॉब (black rob) (गाउन) पहना जाता था। इसे ब्रिटिश मानसिकता की पहचान होने के कारण धीरे-धीरे बंद कर दिया गया है।
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ये हैं प्रदेश में विश्वविद्यालय
राजस्थान विश्वविद्यालय, महर्षि दयानंद सरस्वती, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, कोटा विश्वविद्यालय, शेखावटी विश्वविद्यालय, गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा, भृतहरि विश्वविद्यालय, सूरजमल जाट सहित अन्य विश्वविद्यालय हैं। प्रतिवर्ष इनके दीक्षान्त समारोह में श्रेष्ठतम विद्यार्थियों को पदक और पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की जाती हैं।
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