
mds university ajmer
सरकार और राजभवन (raj bhawan) महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) से खिलवाड़ में जुटे हैं। विधानसभा में पारित पारित एक्ट (ACT) के अनुसार ‘वैकल्पिक’ इंतजाम हो सकता है। फिर भी राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan highcourt) के फैसले पर निगाहें टिकी हैं। विशेषज्ञों (experts) ने अब तक कोई राय-मशविरा भी नहीं किया है।
विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (r.p.singh) के कामकाज पर 11 अक्टूबर से राजस्थान हाईकोर्ट ने कामकाज करने पर रोक (ban on work ) लगाई थी। यह अब तक कायम है। हाईकोर्ट ने 2 अगस्त को हुई सुनवाई में फैसला सुरक्षित (decision pending) रखा था। तबसे एक महीने बीत चुका है।
2017 में पारित है यह एक्ट
विधानसभा (state assembly) में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2017 पारित हो चुका है। इसकी अधिनियम की धारा 9 (10) के तहत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कोई स्थाई रिक्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने, निबंलन के कारण या अन्यथा हो जाए तो उप धारा 9 के अधीन संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव (registrar) तत्काल कुलाधिपति-राज्यपाल (chancellor-governor) को सूचना भेजेंगे। कुलाधिपति सरकार (state govt) से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति को अतिरिक्त दायित्व सौंपेंगे।
फिर क्यों नहीं अनुपालना...
एक्ट में स्पष्ट प्रावधान है, फिर भी राजभवन और सरकार ने 11 महीने में कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि विश्वविद्यालय (university) में कुलपति (vice chancellor) की गैर मौजूदगी से हालात बिगड़ चुके हैं। राजभवन और सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट को 2017 में पारित एक्ट का हवाला भी दिया। इसके बावजूद अमल करने की कोशिश नहीं की है।
दस महीने में हुआ ये नुकसान
- नवां दीक्षांत समारोह नहीं होने से पदक-डिग्री अटके
-नहीं हो सका अन्तर कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रम -250 से ज्यादा सरकारी-निजी कॉलेज की सम्बद्धता में विलंब
-राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का 11.19 करोड़ रुपए का बजट लैप्स
-छह महीने से नहीं है विश्वविद्यालय में स्थाई कुलसचिव
-अटकी हुई है 20 शिक्षकों और सात अधिकारियों की भर्ती
Published on:
11 Sept 2019 08:42 am
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