जिन श्रमिको में इस तरह के लक्षण नहीं पाए गए। उन्हें रिपोर्ट देकर वहाँ से रवाना कर दिया गया। लेकिन जिनकी जांच में इसके लक्षण पाए गए। उनकी रिपोर्ट अस्पताल में ही रख ली गई है। ताकि डॉक्टर्स की टीम बैठकर गहनता से परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर सके। श्रमिको को यह सही जानकारी नहीं देने से वो चिकित्सक की तलाश में इधर-उधर घूमते रहे। बाद में उन्हें पता लगा कि उनकी रिपोर्ट सही है और वे स्वस्थ है तो श्रमिक अस्पताल से रवाना हुए।
यह था पूरा मामला चिकित्सकों ने श्रमिकों को सिलिकोसिस की जांच लिख दी थी। जिसके बाद श्रमिकों ने एक्सरे और जांच करवाई। डॉक्टर्स के रिपोर्ट जांचने के बाद जिनमें सिलिकोसिस के लक्षण नहीं पाए गए उन श्रमिकों के एक्सरे दे दिए गए, और जिनकी जांच में संदेह पाया गया। उनका एक्सरे और रिपोर्ट को रख लिया गया। जिससे की चिकित्सकों की टीम इनकी जांच कर सके। श्रमिक इस बात को समझ नहीं सके। इस कारण उन्हें परेशानी हुई। बाद में उन्हें जब इसकी जानकारी दी गई तो श्रमिक रवाना हो गए।
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