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SC ST आयोग के नोटिस से AMU में खलबली, ब्रजलाल ने पूछा- 1950 से अब तक क्यों नहीं दिया आरक्षण?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को मिला नोटिस, जवाब देने की तैयारी में लगे अफसर

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ब्रजलाल

ब्रजलाल

आगरा। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया ने अलीगढ़ जाकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (अमुवि- एएमयू) में दलित और पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग की। इसके कुछ दिन बाद ही उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल ने भी आरक्षण न देने के लिए एएमयू को नोटिस भेज दिया। नोटिस मिलने के साथ ही एएमयू में खलबली है। इसका जवाब देने की तैयारी की जा रही है। यह बात अलग है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने जब एएमयू के उपकुलपति और रजिस्ट्रार तलब किए तो वे आरक्षण के संबंध में कोई जवाब नहीं दे सके। राज्य आयोग ने पिछले 68 साल का हिसाब मांगा है।

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सिर्फ मुसलमानों ने नहीं बनाया

उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष ब्रजलाल जो नोटिस भेजा है, उसमें कहा गया है- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय न तो अल्पसंख्यक संस्थान है और न ही इसे अकेले मुसलमानों ने बनाया है। इसे बनाने में धन व ज़मीन दान देने में हिन्दू -मुस्लिम सबका योगदान है। विशेषकर महाराजा विजयनगरम, पटियाला, दरभंगा, बिजनौर, राय शंकर प्रसाद मुज़फ्फर नगर ,राजा महेंद्र प्रताप सिंह आदि। यूनिवर्सिटी को ज़मीन अधिकतर राजा महेंद्र प्रताप ने ही दान में दी थी। यह यूनिवर्सिटी 1920 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (1915) की तरह ही बनायी गयी है।

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किसी ने नहीं माना अल्पसंख्यक संस्थान

नोटिस में कहा गया है कि मौलाना आज़ाद (1952), एम॰सी॰ छागला (1965),आदि महापुरुषों ने भी इसे कभी भी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना। संवैधानिक सभा में भी इस पर विचार विमर्श हुआ और बाबा साहब आंबेडकर ने भी इसे अल्पसंख्यक नहीं माना। अज़ीज़ बासा बनाम भारत सरकार में चीफ़ जस्टिस वांचू की पाँच जजों की बेंच ने 1967 में निर्णय दिया कि न तो इसे अकेले मुसलमानों ने बनाया है और न ही यह अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय है। 2005 व 2006 के निर्णय में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को दोहराया। इस प्रकार 1920 से आज तक इसे अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं है।

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संविधान लागू होने से अब तक आरक्षण क्यों नहीं

नोटिस में कहा गया है कि एएमयू पर भारत सरकार के सभी क़ानून लागू होते है, परंतु विश्वविद्यालय ने आज तक दलितों को निर्धारित 22.5% आरक्षण नहीं दिया है। अनुसूचित जाति के लोगों व संगठनों के प्रत्यावेदन पर चार जुलाई को रजिस्ट्रार एएमयू को नोटिस दिया है। आठ अगस्त, 2018 तक रिपोर्ट मांगी है। पूछा है कि अब 1950 में भारतीय संविधान लागू होने से अब तक एस॰सी॰को 15% तथा एस॰टी॰को 7.5% आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है? आयोग एक्ट में दिए गये प्रावधानों के अन्तर्गत दलितों का हक़ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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तय समय पर जवाब देंगे

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मेम्बर इंचार्ज पीआरए सेल शाफे किदवई ने बताया कि राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का नोटिस मिल गया है। एएमयू को लेकर कुछ भ्रम हैं, जिन्हें दूर किया जा रहा है। उन्होंने दोहराया कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान है, बस मामला कोर्ट में विचाराधीन है। आयोग को तय समय तक जवाब भेज दिया जाएगा।

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