इसे भी पढ़ें विवादित मुस्लिम धर्मगुरू जाकिर नाईक को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटकायह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने राजेश कुमार व 37 अन्य उप निरीक्षकों की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है 2007 बैच तक के दरोगा इंस्पेक्टर बन गए जबकि पीएसी में 2001 व 2005 बैच के दरोगा प्रमोशन नहीं पा सके। याचिका में इसी विसंगति को चुनौती दी गई है। याचियों के अधिवक्ता पीयूष शुक्ल ने बताया कि 2008 में नागरिक पुलिस व सशस्त्र पुलिस की अलग-अलग नियमावली बनाई गई, जिसे 2015 में संशोधित किया गया।
इसे भी पढ़ें जौहर विवि के लिये दलितों की जमीन लेने के मामले में सपा नेता आज़म खां के खिलाफ नोटिस जारी नियमावली में कहीं भी डीएफ और नान डीएफ के रूप में पद का बंटवारा नहीं किया गया है जबकि पुलिस मुख्यालय ने 5000 स्वीकृत पद का विभाजन 3500 इंस्पेक्टर डीएफ और 1500 पद नान डीएफ के रूप में करते हुए सभी 5000 पद नागरिक पुलिस के दरोगाओं को प्रमोशन देकर भर दिया। पीएसी के दरोगाओं को इन 5000 पदों के सापेक्ष सम्मिलित नहीं किया गया।
इसे भी पढ़ें हाईकोर्ट ने योगी सरकार से पूछा, उर्दू में कितनी अधिसूचनाएं व परिपत्र किये जारी उनका कहना है कि 1500 नॉन डीफ़ पदों में आर्म्ड पुलिस के वे पद भी शामिल हैं, जो पीएसी नियमावली 2015 के तहत आर्म्ड पुलिस के हैं। इनमें सिक्योरिटी, ट्रैफिक व ट्रेनिंग के हैं। इस प्रकार ये लोग अपने ही बैच के सब इंस्पेक्टर से जूनियर हो गए और डिप्टी एसपी के लिए होने वाली डीपीसी में वे अपने साथ व अपने से जूनियर दरोगा के साथ सम्मिलित नहीं हो पाएंगे।
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