
पीएमएस संवर्ग के डॉक्टरों के तबादले में भारी गड़बड़ी की शिकायत संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक सख्त आदेश जारी करते हुए कहाकि, पीएमएस संवर्ग के डॉक्टरों का प्रदेश भर में कहीं भी ट्रांसफर किया जा सकता है। ट्रांसफर किए गए डाक्टरों को एक ही जगह तैनात रहने का अजेय हक नहीं है। अगर उनकी कोई व्यथा है तो वे इसके लिए सक्षम प्राधिकारी को प्रत्यावेदन दे सकते हैं जो उसपर गौर कर निस्तारण करेंगे। इस टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।
तबादला नीति के अनुसार तबादला की मांग
याची पीएमएस ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसिएशन, यूपी के महासचिव डॉ आरके सैनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहाकि, स्थानांतरण सत्र 2022-23 में सरकारी डॉक्टरों के तबादलों में भारी गड़बड़ी हुई। इसमें अधिकतम अवधि पूर्ण कर चुके डॉक्टरों का तबादला नहीं किया जाना, बिना अवधि पूर्ण किए डॉक्टरों का तबादला और डीजी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा बिना अधिकारिकता के लेवल 2, 3, 4 आदि के डॉक्टरों के तबादले शामिल हैं। ऐसे में इन डॉक्टरों के तबादले निरस्त करते हुए इसके लिए जवाबदेही तय करने तथा नए तबादले पूरी तरह तबादला नीति के अनुसार करने की गुजारिश की गई थी।
सरकारी वकील का पक्ष
उधर, सरकारी वकील ने कहा कि, डाक्टरों के तबादलों में अनियमितताओं व अवैधानिकता की जांच को कोई समिति नहीं बनाई गई है। गत छह जुलाई के आदेश से सिर्फ तबादला किए गए डाक्टरों के प्रत्यावेदनों पर गौर करने को समिति बनी है।
मामले में दखल की जरूरत नहीं
हाईकोर्ट ने कहा कि, हमें बताया गया है कि, मिले सभी प्रत्यावेदनों पर पर्याप्त विचार करके समिति ने सिफारिशों के साथ राज्य सरकार को आदेश पारित करने को भेज दिया है। ऐसे में मामले में दखल देने की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ याचिका निस्तारित कर दी।
Published on:
08 Aug 2022 02:07 pm
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