रतन लाल हंगालू के विश्वविद्यालय में कदम रखने के साथ ही कैंपस में विवादों और कुलपति का दामन चोली का साथ हो गया। कुलपति के हर निर्णय पर लगातार विश्वविद्यालय में छात्र संघ के पदाधिकारियों ने आवाज उठाई तो मामला लोकसभा और विधानसभा तक में उठा। इसके अलावा विश्वविद्यालय में लगातार आंदोलनों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुलपति को तीन मामलों में तलब किया था। कुलपति को छात्र हित में निर्णय लेने का आश्वासन देते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितताओं के लिए रिटायर्ड जजों की कमेटी गठित की गई थी, जिसकी जांच अभी भी लंबित है।
हाल ही में इलाहाबाद आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आने का आग्रह किया गया था। जिसकी अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रपति भवन ने एमएचआरडी मिनिस्ट्री की ओर से कुलपति पर लगाए गए आरोपों को देखते हुए कैंपस में न जाने का सुझाव दिया गया। इसके बाद राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों ने विश्वविद्यालय का उनका दौरा रद्द कर दिया। तभी से यह माना जा रहा था, कि कुलपति रतनलाल के खिलाफ जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएगी। और राष्ट्रपति के दौरे की सप्ताह भर बाद ही एमएचआरडी को कुलपति के खिलाफ जांच करने की अनुमति राष्ट्रपति भवन की ओर से दी गयी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पर वित्तीय अनियमितता शिक्षक भर्तियों में घोटाले और योग्यता की अनदेखी मनमाने ढंग से निर्णय लेने और तानाशाही रवैया का आरोप है। जिस पर संज्ञान लेते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कुलपति के ऊपर लगे आरोपों की जांच के आदेश दिए। इसके कुछ ही दिन पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई कमेटी ने विश्वविद्यालय की अनियमितताओं और आरोपों के लिए शिक्षकों व छात्रों दोनों से समस्याओं को जाना और सब का पक्ष सुना।
कमेटी के सामने शिक्षक भर्ती में मनमाने तरीके से पद सृजित करके योग्यता ना रखने वालों की नियुक्ति व विवादित प्रोफेसरों के हाथ महत्वपूर्ण पदों को सौंपना, इन सारे आरोपों की लिखित साक्ष्य सहित शिकायत कमेटी को दी गई थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए एमएचआरडी ने राष्ट्रपति भवन से कुलपति के खिलाफ जांच कराने की अनुमति मांगी थी। अब इसकी स्वीकृति राष्ट्रपति भवन से प्रदान कर दी गई है। इसके बाद एक बार फिर कुलपति रतनलाल हंगलू के खिलाफ विश्वविद्यालय में जांच होगी। कहा तो यहां तक जा रहा है की कुलपति की छुट्टी भी हो सकती है।
by Prasoon Pandey