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Rajasthan : सुप्रीम कोर्ट ने लौटाया सरिस्का टाइगर रिजर्व का CTH ड्राफ्ट, कहा- Mines को बंद करने का आदेश नहीं बदला जाएगा

Rajasthan : सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) का नया ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर लौटा दिया है कि इसमें नियमों की पालना नहीं की गई है। साथ ही यह भी कहा कि सरिस्का में खानों को बंद करने का आदेश नहीं बदला जाएगा।

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SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई (Photo-IANS)

Rajasthan : सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) का नया ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर लौटा दिया है कि इसमें नियमों की पालना नहीं की गई है।। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि अक्टूबर तक पूरी प्रक्रिया के साथ नया ड्राफ्ट तैयार करके लाएं। यदि उसमें नियमों का उल्लंघन किया गया तो मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि सरिस्का में खानों को बंद करने के जो आदेश 15 मई 2024 को दिए गए थे, उसको नहीं बदला जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि 24 जून से लेकर 26 जून तक जयपुर, दिल्ली, देहरादून सब जगह से तीन दिन में ही प्रस्ताव कैसे पास हो सकता है? इस प्रक्रिया से हम संतुष्ट नहीं हैं।

चीफ जस्टिस की तीन सदस्यीय बेंच ने की सुनवाई

बुधवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने सीटीएच प्रकरण पर सुनवाई की। याचिका दायर करने वाली संस्था टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट के एडवोकेट पीबी सुरेश व पारुल शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह पूरा ड्राफ्ट सरिस्का में बंद हुई 50 खानों को खोलने वाला है। यह ड्राफ्ट सरिस्का से लेकर राज्य वन्यजीव बोर्ड, एनटीसीए, सीईसी से होते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसका नोटिफिकेशन राज्य वन्यजीव बोर्ड को जारी कर जनता से आपत्तियां मांगनी थीं।

एमेकस ज्यूरी (न्याय मित्र) के. परमेश्वरम ने भी इस ड्राफ्ट में पेश कई बिंदुओं पर सवाल उठाए। इस पर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उनके पास सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) की रिपोर्ट है। उन्होंने सरकार का पक्ष रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते कहा कि प्रोसीजर फॉलो नहीं किया गया। यह प्रक्रिया बहुत तेजी से पेश की गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में ऐसे कोई आदेश ही नहीं दिए थे।

पत्रिका ने पूरी प्रक्रिया पर उठाए थे सवाल

राजस्थान पत्रिका ने इस ड्राफ्ट की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। पत्रिका ने तेजी से ड्राफ्ट तैयार करने, नोटिफिकेशन जारी न करने, आपत्तियां न मांगने, माइनिंग एरिया में टाइगर की टेरेटरी होने, आबादी एरिया सीटीएच में शामिल करने समेत कई मुद्दों को पर्यावरण प्रेमियों के जरिए उठाया। टाइगर ट्रेल्स ट्रस्ट ने इन्हीं बिंदुओं को कोर्ट के समक्ष रखा। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी 22 पेज की फाइल दिल्ली में सीईसी के समक्ष पेश की थी। अलवर समेत देश के कई पर्यावरण प्रेमियों ने ड्राफ्ट के खिलाफ आवाज उठाई थी। यही बिंदु सुप्रीम कोर्ट में सीटीएच ड्राफ्ट की वापसी का कारण बने।

क्या है सीटीएच

बाघ परियोजना में एक निश्चित एरिया क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट यानी सीटीएच कहलाता है। इस एरिया में टाइगरों का घर होता है, जहां वे निवास करते हैं और अपना कुनबा बढ़ाते हैं। सरिस्का में सीटीएच 881 वर्ग किमी है। नए ड्राफ्ट में इसे पुर्ननिर्धारण करके 929 वर्ग किमी किया गया। बंद खानों वाले एरिया का सीटीएच एरिया कम करके दूसरी साइड में बढ़ा दिया गया। ऐसे में सरिस्का में बंद खानों को फिर से खोलने का रास्ता बंद हो गया है।