
खेत में खड़ी बाजरे की फसल। फोटो: पत्रिका
अलवर। इस बार भी बाजरे की सरकारी खरीद शुरू होने की उम्मीद कम है। अब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जरिए किसानों का बाजरा खरीदने के लिए कोई प्लान तैयार नहीं हुआ है और न ही अब तक अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए कोई आदेश जारी किए गए हैं।
खरीद केन्द्र के लिए भी कोई जगह भी चिन्हित नहीं की गई है, जबकि अलवर सहित प्रदेश के कई इलाकों में बाजरे की कटाई-कुटाई शुरू हो चुकी है। जल्द ही बाजरा मंडी में बिकने के लिए पहुंचेगा। हालांकि एमएसपी पर पिछले साल बाजरे के दाम 2625 रुपए प्रति क्विंटल थे, लेकिन खरीद नहीं हो पाई। यही वजह है कि किसान मंडी व्यापारियों के हाथों लुट रहे हैं। अगर सरकारी खरीद पर किसानों का बाजरा खरीदा जाए तो किसानों को फायदा होगा।
वर्तमान में बाजरा का भाव मंडी में 2400 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि एमएसपी के रेट 2625 रुपए प्रति क्विंटल हैं। इस हिसाब से किसानों को प्रति क्विंटल करीब 225 रुपए का नुकसान भुगतना पड़ रहा है। राज्य के पड़ौसी राज्य हरियाणा में एमएसपी पर खरीद की खरीद हो रही है। देश में सबसे ज्यादा बाजरे की पैदावार करने में राजस्थान अग्रणी राज्य है फिर भी यहां के किसानों को उचित दाम मिलने का इंतजार है।
खरीफ के इस सीजन में अलवर में बाजरे की एक लाख 48 हजार 351 हेक्टेयर पर बाजरे की फसल बुवाई की गई है। इसके साथ ही प्रदेशभर में लाखों हेक्टेयर पर बाजरे की फसल बुवाई हुई है, अगर सरकार की ओर से एमएसपी के दामों पर बाजरे की फसल को खरीदा जाए तो किसानों को राहत मिलेगी।
राज्य सरकार की ओर से मिड-डे मील में बाजरा और मोटा अनाज देने के लिए प्लान तैयार कर रही थी, लेकिन यह योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। इसके साथ ही सर्दियों में राशन के देने के दौरान गेहूं के साथ बाजरा देने पर चर्चा हुई थी। सरकार एमएसपी के जरिए किसानों का बाजरा खरीदेगी तभी राशन के साथ दिया जा सकता है।
Published on:
10 Sept 2025 11:17 am
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