आंदोलनकारियों ने प्रशासन को कार्रवाई के लिए सात दिन का समय दिया था, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से खनन को बंद कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। महासभा के दौरान पुलिस व प्रशासन के अधिकारी तैनात रहे, लेकिन वार्ता नहीं हो सकी।
उल्लेखनीय है कि कालिया बाबा पहाड़ जन-जन की आस्था का केंद्र है। यहां खनन का मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है। सोमवार को हुई महासभा में मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय किया गया। महासभा स्थल पर पूर्व सांसद पंडित रामकिशन भी पहुंचे। उन्होंने कालिया बाबा पहाड़ को प्राचीन काल से ही धार्मिक आस्था से जुड़ा बताकर इसे बचाने के लिए चल रहे आंदोलन में पूर्ण सहयोग की बात कही।
पहाड़ पर 60 से भी अधिक मंदिर
ज्ञात हो कि आसपास के लोग कालिया पहाड़ को आस्था, पौराणिक मान्यता एवं द्वापर युग से जुड़ी कथाओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत का ही स्वरूप मानते हैं। कालिया पहाड़ को काला पहाड़ कहते हुए आसपास के सैकड़ों गांवों के लोग अमावस एवं पूर्णिमा को परिक्रमा देते हैं। बुजुर्ग प्रताप सिंह का कहना है कि यहां पहाड़ में 60 से भी अधिक मंदिर है। पहाड़ पर पूर्व में जहां लीज आवंटित की गई थी, वहीं 13 नई लीज और जारी करने की संभावना के मद्देनजर आंदोलन शुरू हुआ है। नियमों की अनदेखी कर लीज आवंटित की थी।
खनन नियमों के अनुसार लीज का आवंटन आबादी क्षेत्र से 3 किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए जबकि यहां लीज एवं क्रेशर आबादी से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां क्रेशरों से उड़ती धूल से ग्रामीणों को सिलिकोसिस व क्षय रोग पाया गया। जिसकी पुष्टी पूर्व चिकित्सा अधिकारियों ने भी की थी। वहीं विस्फोट से कई बार मकानों में दरार आने की भी शिकायत है। इसको लेकर लोग लगातार विरोध करते आ रहे हैं।
अनशनकारियों से नहीं हो पाई वार्ता
मौके पर डीएसपी धर्मेंद्र शर्मा, तहसीलदार राजेंद्र मीणा, सीआई सुनील गुप्ता सहित कानूनगो गिरदावर पटवारी आदि मौजूद रहे। जिन्होंने अनशनकारियों से वार्ता करने का प्रयास किया लेकिन कोई मुख्य वार्ताकार नहीं होने के कारण वार्ता नहीं हो पाई। तहसीलदार राजेंद्र मीणा ने बताया कि वार्ता किससे करें। यहां कोई कमेटी या मुख्य वार्ताकार ही नहीं है। कुछ अनशनकारी ऊपर चोटी पर बैठे हैं कुछ नीचे। उच्चाधिकारियों को निरंतर रिपोर्ट की जा रही है। डीएसपी धमेन्द्र शर्मा ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से जाप्ता मौजूद है। इनके एजेंडे को आगे पहुंचाएं पर कोई वार्ता कर कुछ लिखित में दस्तावेज तो दे।