
Collector action order copy (Photo- Patrika)
प्रणय राज सिंह राणा
अंबिकापुर.दुग्ध सागर सहकारी सेवा समिति, अंबिकापुर में करीब 18 लाख रुपए की कथित वित्तीय अनियमितता (Big scam) के मामले में 4 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। यह मामला समिति के तत्कालीन सीईओ दीपक सिंह और शाहिद खान से जुड़ा हुआ है। पशुपालन विभाग की जांच के बाद कलेक्टर सरगुजा ने 29 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन अब तक थाने में मामला दर्ज नहीं हो सका है। यह आदेश उप-संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं को दिया था।
उप-संचालक राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया को अधूरा छोड़ते हुए अब यह तर्क देना शुरू कर दिया है कि आवश्यक दस्तावेज उन्हें जिला पंचायत और रुर्बन मिशन (Big scam) से नहीं मिले। जबकि दूध सागर समिति की संपूर्ण निगरानी और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी खुद उनके विभाग की थी।
इस प्रकरण (Big scam) में गंभीर लापरवाही सामने आई है। विभागीय अधिकारियों ने पुलिस द्वारा मांगे गए आवश्यक दस्तावेजों को न तो अब तक उपलब्ध कराया है और न ही उन्हें उपलब्ध कराने के लिए कोई आधिकारिक पत्र ही जिला पंचायत को भेजा गया है। लापरवाही का नतीजा यह है कि कलेक्टर के निर्देश के बावजूद आज तक एफआईआर नहीं हो पाई है।
विभागीय लापरवाही को देखते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवनारायण यादव ने भी पिछली बैठक में नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि मामले (Big scam) को जानबूझकर दबाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, विभागीय अधिकारी कागजी खानापूर्ति का बहाना बनाकर आरोपियों को समय दे रहे हैं।
इस वित्तीय अनियमितता (Big scam) का खामियाजा सबसे अधिक समूह की महिलाओं के दूध उत्पादन को हुआ। कई महिलाओं ने दूध की राशि मिलने की प्रत्याशा में बाजार से मवेशियों के लिए आहार भी उधार में खरीद लिया था। इस वित्तीय अनियमितता की वजह से समूह की कई महिलाओं ने अपने मवेशी भी बेच दिए।
सूत्रों की मानें तो कुछ ने अपनी जमीनें बेचकर बाजार का कर्ज पटाया है। बताया जा रहा है कि इस अनियमितता में संलिप्त कुछ लोगों को बचाने की भी कोशिश जांच रिपोर्ट में की गई है। जिसके खाते में इन महिलाओं का भुगतान अवैध तरीके से किया गया उसे इस मामले में आरोपी ही नहीं बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियमावली एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अनुसार, वित्तीय अनियमितता (Big scam) की पुष्टि होने पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराना अनिवार्य है। यदि जिम्मेदार अधिकारी आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं करते, तो यह कदाचरण और कर्तव्यहीनता की श्रेणी में आता है, जिस पर विभागीय जांच, निलंबन या सेवा से हटाने तक की कार्रवाई संभव है।
उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं राजेंद्र प्रसाद शुक्ला का कहना है कि मामले (Big scam) के दस्तावेज थाने और एसपी कार्यालय को सौंपने की कोशिश की गई थी, लेकिन ये ओरिजनल नहीं थे इसलिए एफआईआर अब तक नहीं हुई है।
स्वीकारता हूं कि जरूरी दस्तावेज हम थाने को उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। इसकी वजह जिला पंचायत है। मैंने सीईओ से ओरिजनल दस्तावेज उपलब्ध कराने मौखिक कहा था लेकिन उन्होंने अब तक दस्तावेज नहीं दिए हैं।
जिला पंचायत सरगुजा के सीईओ विनय अग्रवाल ने कहा कि पशुपालन विभाग की तरफ से किसी भी प्रकार के दस्तावेज के लिए न तो हमसे पत्राचार किया गया है, न ही कोई मौखिक चर्चा हुई है। यदि उन्हें किसी भी प्रकार के दस्तावेज चाहिए तो वे हमसे ले जाएं, मैंने आपके फोन के बदौलत निर्देशित कर दिया है कि वे कल ही मूल दस्तावेज (Big scam) ले जाकर एफआईआर कराएं।
Updated on:
23 Aug 2025 03:22 pm
Published on:
23 Aug 2025 02:04 pm
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