इधर क्षेत्र के ग्रामीणों में वन विभाग (Forest department) को लेकर आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि वन विभाग द्वारा हाथी के उनके क्षेत्र में आने की सूचना नहीं दी जाती है। अलर्ट करने के लिए लगाया गया सायरन भी शो-पीस साबित हो रहा है।
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प्रतापपुर रेंज मुख्यालय से 5 किमी दूर ग्राम पंचायत गोटगवां के चिटकाबहरा, आमांडांड निवासी प्रिया कोड़ाकू पिता जमुना 15 वर्ष रविवार की सुबह 6 बजे अपने दादा व गांव की ही 3 अन्य लड़कियों के साथ जंगल में खुखड़ी बीनने गई थी। इसी दौरान अचानक उनका हाथियों से सामना हो गया।
यह देख सभी भागने लगे लेकिन एक हाथी ने प्रिया को सूंड (Trunk) से उठाकर जमीन पर पटक दिया, जबकि उसकी सहेलियां वहां से भागने में कामयाब हो गईं। हो-हल्ला सुनकर गांव के लोग वहां पहुंचे और शोर मचाया तो हाथी जंगल की ओर चले गए। इसके बाद किशोरी को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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यहां प्राथमिक उपचार पश्चात किशोरी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर रेफर कर दिया गया है। इस संबंध में रेंजर पीसी मिश्रा का कहना है कि किशोरी की हालत खतरे से बाहर है। वहीं किशोरी के परिजनों को तात्कालिक सहायता राशि के रूप में 10 हजार रुपए प्रदान किया गया है।
वन विभाग नहीं कर रहा अलर्ट
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में हाथियों के हमले (Elephants attack) में आए दिन लोगों की जान जा रही है, वहीं कई घायल हो रहे हैं। इस मामले में ग्रामीणों ने वन विभाग पर हाथियों (Elephants) की सही तरीके से मॉनीटरिंग नहीं करने का आरोप लगाया है।
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उनका कहना है कि विभाग द्वारा न तो सायरन बजाकर उन्हें अलर्ट किया जाता है और न ही समय पर हाथियों के उनके क्षेत्र में पहुंचने की सूचना दी जाती है।
45 हाथियों का दल कर रहा भ्रमणइस संबंध में रेंजर पीसी मिश्रा ने बताया कि कल रात में 43 से 45 हाथी के दल की जानकारी ग्राम गौरा व कोटया के मध्य होने की मिली थी, जिसकी निगरानी वन विभाग के द्वारा की जा रही थी।