
Vice Chancellor Prof Rohini Prasad
अंबिकापुर. Removed Vice Chancellor again took Charge: ढाई वर्ष पूर्व सरगुजा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. रोहिणी प्रसाद को पद से हटा दिया गया था। उन्होंने 21 जून को फिर से संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय अंबिकापुर में कुलपति का पद्भार ग्रहण कर लिया है। पद्भार ग्रहण करने के दौरान वर्तमान कुलपति प्रो. अशोक सिंह नहीं थे। उनकी अनुपस्थिति में उन्होंने हाईकोर्ट (High Court Order) के आदेश की कॉपी तथा राज्यपाल कार्यालय से जारी पत्र रजिस्ट्रार को सौंपी। गौरतलब है कि खुद को हटाए जाने के विरुद्ध प्रो. रोहिणी प्रसाद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने कार्रवाई को विधि विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी थी। ढाई साल तक चले मामले में हाईकोर्ट ने 4 मई 2022 को आदेश सुरक्षित रखा था। 13 जून को आदेश सार्वजनिक किया गया।
गौरतलब है कि ३ जनवरी 2020 को धारा 52 के तहत हटाए गए संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. रोहिणी प्रसाद ने विश्वविद्यालय में मंगलवार को फिर पद्भार ग्रहण कर लिया है। प्रो. रोहिणी प्रसाद ने हाईकोर्ट के आदेश के साथ-साथ राज्यपाल कार्यालय से जारी पत्र भी विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार को सौंपा है।
जिस वक्त रोहिणी प्रसाद ने ज्वाइनिंग दी है उस दौरान मौजूदा कुलपति अशोक सिंह विश्वविद्यालय में नहीं थे, पहले बताया गया कि वे निवास पर हैं लेकिन फिर सूचना दी गई कि वे निवास पर नहीं है। प्रो. अशोक सिंह का मोबाइल स्वीच ऑफ़ है। कुलपति के कक्ष की चाबी भी अशोक सिंह के ही पास ही बताई गई है।
हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका
खुद को हटाए जाने के खिलाफ डॉ. रोहणी प्रसाद ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में उन्होंने उनके विरुद्ध की गई कार्यवाही को चुनौती देते हुए विधि विरुद्ध बताया था। उनकी याचिका पर बीते 4 मई को हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित कर लिया था, जिसे 13 जून को हाईकोर्ट ने सार्वजनिक किया और डॉ रोहणी प्रसाद को राहत देते हुए उनके विरूद्ध की गई कार्यवाही को ग़लत माना।
जस्टिस पी. सैमकोशी ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि न्यायालय के आदेश के जारी होने के पहले तक की अवधि "नो वर्क नो पे" मानी जाएगी तथा याचिकाकर्ता शेष लाभ के लिए अधिकृत होगा।
ये था मामला
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति प्रोफेसर रोहिणी प्रसाद पर धारा 52 के तहत कार्रवाई की गई थी। विश्वविद्यालय के 10 वर्षों के इतिहास में अक्षम प्रशासन, शैक्षिक परिवेश में अकुशलता को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी और राज्य सरकार ने उन्हें कुलपति के पद से हटा दिया था। अधिसूचना में बताया गया था कि संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कार्यकलापों, कुप्रशासन, अव्यवस्था, समन्वय की कमी, आंतरिक विवाद, शैक्षिक वातावरण का अभाव, विश्वविद्यालय की गरिमा, विश्वसनीयता की गिरावट देखी जा रही है।
अधिसूचना में कहा कि गया था कि विश्वविद्यालय के हितों का उपाय किए बिना विश्वविद्यालय अधिनियम 1973, (क 22 सन् 1973) के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है। विश्वविद्यालय के हितों के अनुसार उपबंधों को लागू करना अनिवार्य हो गया है।
छत्तीसगढ़ विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 (क 22 सन् 1973) की धारा 52 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार निर्देश करते है कि अधिनियम की धारा 13, 14, 23 से 25 तक 40, 47, 48, 54 तथा 68 के प्रावधान, तृतीय अनुसूची के उपान्तरणों को अध्यधीन रहते अधिसूचना को लागू किया जाए। अधिसूचना 3 जनवरी 2020 से लागू है। विश्वविद्यालय के कुलाधिपाति, राज्यपाल के नाम से जारी आदेश को उप सचिव जीएन सांकला ने प्रेषित किया था।
तात्कालीन कमिश्नर ने की थी कुलपति के शिकायतों की जांच
तात्कालीन कमिश्नर ने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुलपति (Vice Chancellor) के खिलाफ मुख्यमंत्री को एक रिपोर्ट भेजा था। रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितता, शारीरिक शोषण सहित कई मामले थे। जांच से संतुष्ट नहीं होने के बाद मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग से विस्तृत जांच कर रिपोर्ट मांगा था।
तात्कालीन कमिश्रर ने 20 दिसम्बर 2019 से जांच कराई थी। सरगुजा के तात्कालीन कमिश्नर ईमिल लकड़ा ने संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रोहिणी प्रसाद को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक जांच रिपोर्ट 15 दिसम्बर को भेजी थी। उन्होंने अपने रिपोर्ट में लिखा था कि प्रो. रोहिणी प्रसाद के सरगुजा में रहने से विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजों में कभी भी अप्रिय स्थिति निर्मित हो सकती है।
Published on:
22 Jun 2022 04:09 pm
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