Rajasthan : राजस्थान में 125 वर्ष पुरानी रेलवे लाइन के विस्तार से बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। पुन: सर्वे करने की मांग उठ रही है।
Rajasthan : भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क का लगातार विस्तार कर रहा है। कश्मीर घाटी सहित देश के दुर्गम इलाकों में भी ट्रेनें पहुंच रही हैं। नई रेलवे लाइनों के साथ नए स्टेशन और आधुनिक यात्री डिब्बे भी लोगों की सेवा के लिए शुरू किए जा रहे हैं। ऐसे में लगभग 125 वर्ष पुरानी बाड़मेर-मुनाबाव रेलवे लाइन के विस्तार के लिए पुन: सर्वे करने की मांग उठ रही है। स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल कर रोहिड़ी-सुंदरा तक रेलवे लाइन का विस्तार किया जाए। इससे बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
यह क्षेत्र भी दुर्गम है, जहां बड़े-बड़े रेतीले टीले हैं। यहां यातायात के साधन बहुत सीमित हैं। अधिकांश लोग खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं, जो बारिश पर आधारित है। ऐसे में पुराने रेलवे स्टेशन ग्रामीणों के लिए बहुउपयोगी साबित हो सकते हैं। पिछले साल शुरू हुए साधारण रेल के दो फेरों से किसानों की आय दोगुनी हो गई है। अब सीमावर्ती किसान देशी कैर, सांगरी, खुम्भी, काचर, मटिरा और ग्वारफली जैसे उत्पाद बड़े शहरों में बेचने पहुंच रहे हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि रेलवे बंद स्टेशनों को पुन: शुरू कर राहत प्रदान करे। साथ ही, सुदूर बॉर्डर के गांवों को जोड़ने के लिए नई रेलवे लाइन का पुन:सर्वे किया जाए।
यहां के पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि बाड़मेर-मुनाबाव रेलवे लाइन को रोहिड़ी-सुंदरा तक विस्तारित कर बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सकता है। देश की अंतिम सीमा के दर्शन, मखमली धोरे, विशाल मरुस्थलीय इलाका, ग्रामीण जीवन, परंपरागत बेरियों से सिंचाई और डेजर्ट नेशनल पार्क के वन्यजीव पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के बर्फीले पर्वतों की तरह यहां सुनहरे चमकते रेतीले धोरों की छटा बिखरी है, जो पर्यटकों को अभिभूत कर सकती है।