कुंडाल गांव से रोजगार के लिए रूस गए एक युवक से डेढ़ माह से परिजनों का कोई संपर्क नहीं हो पाया है। यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच युवक के लापता होने से परिवार भय और अनिश्चितता में जी रहा है।
ब्यावर। समीपवर्ती गांव कुंडाल से रोजगार के लिए रूस गए एक युवक से पिछले डेढ़ माह से परिजनों का कोई संपर्क नहीं हो पाया है। इससे परिवार की चिंता बढ़ गई है और वे अनिश्चितता व भय के साए में जीने को मजबूर हैं। इस विषम परिस्थिति में न तो प्रशासन ने अब तक कोई सुध ली है और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने परिवार की मदद में रुचि दिखाई है।
कुंडाल निवासी गोकुल सिंह करीब तीन माह पहले आजीविका की तलाश में रूस गया था। शुरुआत में वह नियमित रूप से परिवार से संपर्क में था, लेकिन 8 नवंबर के बाद से उससे कोई बातचीत नहीं हो सकी है। यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच जवाजा क्षेत्र के कुंडाल गांव निवासी गोकुल सिंह का कोई अता-पता नहीं चल पाने से परिजनों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।
गोकुल की पत्नी शांति देवी ने बताया कि 8 नवंबर को पति से आखिरी बार बात हुई थी। उस दौरान गोकुल ने नेटवर्क की समस्या, पैर में चोट लगने और बेहद कठिन परिस्थितियों में कुछ अन्य लोगों के साथ होने की जानकारी दी थी। इसके बाद से उसका मोबाइल बंद है और किसी भी माध्यम से संपर्क नहीं हो पाया है।
शांति देवी का कहना है कि इतने लंबे समय बीत जाने के बावजूद न तो किसी प्रशासनिक अधिकारी, न किसी जनप्रतिनिधि और न ही किसी संगठन की ओर से कोई ठोस सहयोग मिला है। घर की पूरी जिम्मेदारी, बच्चों का पालन-पोषण और रोजमर्रा का खर्च चलाना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। तीनों बच्चे अपने पिता को याद कर अक्सर रोते रहते हैं।
गोकुल के भाई बालूसिंह ने भी प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि हर स्तर पर प्रयास किए गए, लेकिन कहीं से कोई ठोस जवाब या सहायता नहीं मिली। परिवार का कहना है कि युद्ध के दौरान कई भारतीय नागरिकों के विदेशों में फंसे होने की खबरें सामने आती रही हैं, इसके बावजूद इस मामले में अपेक्षित संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई।
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गोकुल सिंह 13 सितंबर को रोजगार के लिए रूस रवाना हुआ था। इसके बाद 8 नवंबर को परिजनों से उसकी आखिरी बार बातचीत हुई। तब से उसके साथ किसी का भी कोई संपर्क नहीं हो पाया है, जिससे परिवार की चिंता और बढ़ गई है।