Dilip Kumar 103rd Birth Anniversary: दिलीप कुमार उर्फ बॉलीवुड के ट्रेजिडी किंग की आज 103वीं बर्थ एनिवर्सरी है। बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र ने कई मौकों पर ये कहा था कि वो दिलीप कुमार की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में आए। लेकिन, क्या आप यकीन करेंगे कि अपने दिलीप साहब से पहली मुलाकात में पिटते-पिटते बचे थे धर्मेन्द्र।
Dilip Kumar 103rd Birth Anniversary: दिलीप कुमार उर्फ बॉलीवुड के ट्रेजिडी किंग की आज 103वीं बर्थ एनिवर्सरी है। दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार ने बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में दीं, जिनमें मुगल-ए-आजम, देवदास, नया दौर, गंगा जमुना, और शक्ति जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं। आज दिलीप कुमार की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उनसे जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं। ये किस्सा धर्मेंद्र से जुड़ा है. लेकिन उससे पहले आपको ये बता दें कि धर्मेंद्र दिलीप कुमार को भगवन की तरह पूजते थे। और धर्मेंद्र अक्सर अपने इंटरव्यूज में दिलीप साहब के बारे में बात करते थे। आइए जानते हैं कि क्या हुआ था जब धर्मेंद्र चोरी-छुपे उनके घर में घुस गए थे?
बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र ने कई मौकों पर ये कहा था कि वो दिलीप कुमार की वजह से फिल्म इंडस्ट्री में आए। धर्मेंद्र कॉलेज के दिनों में दिलीप कुमार की फिल्में देखा करते थे और उनके दीवाने थे। एक बार कई दिन तक वो दिलीप कुमार की हेयर स्टाइल बनाए घूमते रहे थे। लेकिन, क्या आप यकीन करेंगे कि अपने 'भगवान' से पहली मुलाकात में धर्मेंद्र पिटते-पिटते बचे थे और अगर उस वक्त सीसीटीवी का दौर होता तो धर्मेंद्र पर चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज होती।
किस्सा है 1953-54 के आसपास का। बहुत कम लोगों को पता है कि 1957 में फिल्म फेयर कांटेस्ट में हिस्सा लेने से करीब पांच साल पहले भी धर्मेंद्र बॉलीवुड में एक बार अपनी किस्मत आजमाने पहुंचे थे। वो करीब एक महीने मुंबई रहे लेकिन उन्हें किसी निर्माता-निर्देशक ने भाव नहीं दिया। आखिरकार उन्होंने वापस गांव लौटने का फैसला किया। लेकिन, गांव लौटने से पहले उन्होंने तय किया कि एक बार वो अपने भगवान यानी दिलीप कुमार के दर्शन कर लें। बस, धर्मेंद्र पाली हिल के उनके बंगले पर पहुंच गए। संयोग ऐसा कि बंगले के बाहर उस दिन कोई गार्ड भी नहीं था। धर्मेंद्र जैसे अपने गांव में पड़ोसियों के घर बिना कुछ पूछे घुस जाते थे, वो दिलीप साहब के घर के अंदर भी पहुंच गए।
धर्मेंद्र ने इधर-उधर देखा। दोपहर का वक्त था, कोई दिखा नहीं। धर्मेंद्र पहले मंजिल पर दिलीप कुमार के बेडरूम तक पहुंच गए। दिलीप कुमार उस वक्त सो रहे थे। धर्मेंद्र ने उन्हें देखा और एक पलक निहारने लगे। धर्मेंद्र करीब दो मिनट तक अपने भगवान के दर्शन करते रहे, लेकिन तभी अचानक दिलीप कुमार की आँखें खुल गईं। दिलीप कुमार को समझ नहीं आया कि उनकी आँखों के सामने खड़ा शख्स कौन है।
दिलीप कुमार अचानक चिल्लाए-चोर..चोर। पकड़ो..पकड़ो। धर्मेंद्र ने जैसे ही ये सुना, उनके होश फाख्ता हो गए। वो दिलीप कुमार से कुछ कहना चाहते थे लेकिन दिलीप कुमार की तेज आवाज़ सुनकर वो तेजी से नीचे की ओर भागे। दिलीप कुमार की आवाज़ सुनकर दो-तीन नौकर धर्मेंद्र को पकड़ने के लिए दौड़े। हालांकि, जब तक कोई ठीक से समझ पाता कि कौन व्यक्ति घर में घुसा, और उसने क्या चुराया है तब तक धर्मेंद्र दिलीप साहब के घर से बाहर निकल गए। उस वक्त सीसीटीवी का दौर नहीं था, वरना ये तय था कि बॉलीवुड के सुपरस्टार के घर में बिना बताए घुसने पर धर्मेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज होती।
वैसे, कुछ साल बाद जब धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में कुछ फिल्में कर लीं तो एक दिन उन्हें दिलीप कुमार से मिलना का फिर मौका मिला। दरअसल, दिलीप साहब की बहन उस फिल्म में मेकअप डिपार्टमेंट देख रही थीं और उनकी सिफारिश से धर्मेंद्र को दिलीप साहब से मिलने का मौका मिला। दिलीप साहब ने धर्मेंद्र से मिलकर उन्हें उनकी फिल्मों के लिए बधाई दी और धर्मेंद्र को पतली शर्ट पहने देख अपना कीमती जैकेट गिफ्ट कर दिया। हालांकि, तब धर्मेंद्र ठीक ठाक कमाने लगे थे लेकिन जैकेट भगवान की तरफ से मिला प्रसाद था, लिहाजा इससे बड़ा गिफ्ट कुछ नहीं था। वो जैकेट अभी भी धर्मेंद्र के सामान में रखा हुआ है।
बाद के दौर में धर्मेंद्रऔर दिलीप कुमार की दोस्ती बहुत गहरी हुई। जब सनी देओल की पहली फिल्म 'बेताब' लॉन्च हो रही थी, तब धर्मेंद्र आधी रात को दिलीप कुमार के घर गए थे ताकि वे सनी की तस्वीरें दिखा सकें और उनसे आशीर्वाद ले सकें। दिलीप कुमार भी मज़ाकिया लहज़े में कहते थे कि उन्हें धर्मेंद्र की सूरत से ईर्ष्या होती है। इतना ही नहीं, जब कभी दिलीप साहब के घऱ बिरयानी बनती तो सायरा बानो धर्मेंद्र को भी बुलावा भेज देती। इसका एक दिलचस्प किस्सा धर्मेंद्र ने एक इंटरव्यू में बताया था। उन्होंने कहा, एक बार मैं दिलीप कुमार के घर पहुंचा तो उस वक्त मेरा पीने का टाइम हो गया था। दिलीप साहब ने ये भाप लिया था। उन्होंने कहा- ‘’व्हिस्की पिएंगे थोड़ी’’… मैंने कहा नहीं ‘’जी नहीं’’ उन्होंने कहा, बैठ और इतने में बोतल आ गई। मैं पेग बनाने लगा। मैंने जरा सी डाली थी वो बोले बस, बस, बस. उस समय मैं सोच रहा मैं अपना पेग कैसे बनाऊं? वो इधर-उधर देख रहे थे तो मैंने टेबल के नीचे बोतल से अपने गिलास में व्हिस्की डाल ली। अपना गिलास भी नीचे रखा और चुपचाप बिरयानी खाने लगा।