Diet soda side effects : UEG Week 2025 की एक बड़ी स्टडी में पाया गया कि डाइट और मीठे पेय पदार्थ नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) का खतरा 60% तक बढ़ा सकते हैं। जानिए कैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं और क्यों पानी सबसे सुरक्षित विकल्प है।
Liver Disease Risk : क्या आप भी नो-शुगर या जीरो-शुगर वाले पेय (drinks) पीना पसंद करते हैं, सोचकर कि ये हेल्दी हैं? आप अकेले नहीं हैं ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि जब शुगर नहीं है, तो सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा, खासकर लीवर पर। लेकिन हाल ही में हुई एक बड़ी स्टडी ने दिखाया है कि मीठे और आर्टिफ़िशियल स्वीटनर वाले पेय दोनों का असर लीवर पर हो सकता है। ये स्टडी UEG Week 2025 में पेश की गई थी। केवल एक कैन डाइट सोडा पीने से नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर रोग का खतरा 60% तक बढ़ सकता है, जबकि मीठे पेय पदार्थों के सेवन से यह खतरा 50% तक बढ़ सकता है।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) एक ऐसी स्थिति है जिसमें उन लोगों के लिवर में भी चर्बी (वसा) जमा हो जाती है, जो शराब बहुत कम या बिल्कुल नहीं पीते। यह नुकसान वैसा ही हो सकता है जैसा ज्यादा शराब पीने वालों के लिवर में होता है यानी सिरोसिस (लिवर पर घाव बनना) या लिवर कैंसर तक का खतरा।
इस बीमारी को अब मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-असोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) भी कहा जाता है। यह लिवर कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से एक बन चुकी है। अनुमान है कि पिछले 30 सालों में अमेरिका में इस बीमारी के मामलों में करीब 50% की बढ़ोतरी हुई है — आज लगभग 38% लोग इससे प्रभावित हैं।
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक लिहे लियू, जो चीन के सूज़ौ शहर में सूचो यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के शोधकर्ता हैं, ने बताया कि मीठे पेय पदार्थ (Sugar-Sweetened Beverages) पर पहले से ही शक किया जा रहा था। लेकिन लोग अक्सर सोचते हैं कि डाइट या जीरो-शुगर वाले ड्रिंक ज्यादा हेल्दी होते हैं।
लियू के अनुसार, उनके अध्ययन से पता चला कि कम या बिना चीनी वाले ड्रिंक (L-NSSB) भी लिवर की बीमारी (MASLD) का खतरा बढ़ाते हैं यहां तक कि दिन में सिर्फ एक कैन डाइट सोडा पीने से भी रिस्क बढ़ जाता है।
स्टडी के अनुसार, डाइट ड्रिंक पीने वालों में लिवर की बीमारी से मौत का खतरा भी ज्यादा पाया गया। यह शोध इस हफ्ते बर्लिन में हुए यूनाइटेड यूरोपियन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी वीक (UEG Week 2025) में पेश किया गया, जो हर साल होने वाला एक बड़ा यूरोपियन मेडिकल सम्मेलन है।
इस स्टडी में यूके के करीब 1.24 लाख लोगों को 10 साल तक ट्रैक किया गया। नतीजा ये निकला कि मीठे और डाइट ड्रिंक, दोनों ही लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जो लोग पानी की जगह ये पेय पीते थे, उनमें लिवर रोग का खतरा बढ़ गया।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साजिद जलील के मुताबिक, केवल पानी या बिना चीनी वाले पेय ही लिवर को सुरक्षित रख सकते हैं।
लियू ने कहा कि मीठे पेय पदार्थों में चीनी की अधिक मात्रा ब्लड शुगरऔर इंसुलिन में तेजी से वृद्धि का कारण बनती है, जिससे वजन बढ़ सकता है। अतिरिक्त चीनी लिवर में वसा के संचय को भी बढ़ावा दे सकती है।
उन्होंने कहा, हालांकि कैलोरी में कम, डाइट ड्रिंक्स कई तरीकों से लिवर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
लियू ने कहा, ये आंत के माइक्रोबायोम को बदल सकते हैं, पेट भरे होने की भावना में बाधा डाल सकते हैं, मीठे खाद्य पदार्थों के प्रति रुचि बढ़ा सकते हैं और यहां तक कि इंसुलिन के स्राव को भी उत्तेजित कर सकते हैं। हालांकि, पानी चयापचय को प्रभावित किए बिना शरीर को हाइड्रेट करता है, तृप्ति में मदद करता है और समग्र चयापचय कार्य का समर्थन करता है।
यही कारण है कि जोखिम में कमी समान ही होती है, चाहे किसी भी मीठे पेय को प्रतिस्थापित किया जाए - यह दर्शाता है कि पानी सबसे सुरक्षित विकल्प है।