
Late-Night Eating Can Increase Heart Disease Risk (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Eating Late at Night Is Dangerous : नए रिसर्च से पता चला है कि देर से खाना, खासकर सोने के ठीक पहले खाना, लंबे समय में सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह सिर्फ पाचन या वजन बढ़ने की बात नहीं है इसका असर दिल और शरीर की मेटाबॉलिक सिस्टम पर भी पड़ता है। आजकल बहुत से लोग देर तक काम करने, सोशल इवेंट्स, सफर या मोबाइल-स्क्रीन में उलझे रहने की वजह से रात का खाना देर से खाते हैं।
जब लोग सोने के समय के करीब खाते हैं, तो शरीर नींद और पाचन को एक साथ नियंत्रित करने की कोशिश करता है। इससे आंतरिक लय बिगड़ जाती है और कई प्रणालियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। समय के साथ, यह पैटर्न हार्ट डिजीज, ग्लूकोज़ असहिष्णुता और संवहनी क्षति का कारण बन सकता है। इसका एक तत्काल प्रभाव एसिड रिफ्लक्स है, जिसे जीईआरडी भी कहा जाता है।
जब हम लेट जाते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण पेट के अंदर खाने और एसिड को नीचे नहीं रख पाता। ऐसे में पेट का एसिड ऊपर की ओर यानी खाने की नली (ग्रासनली) में आने लगता है। इससे सीने में जलन जैसी तकलीफ महसूस होती है। अगर ऐसा बार-बार होता रहे, तो खाने की नली की परत को नुकसान हो सकता है उसमें सूजन आ सकती है, वह सिकुड़ सकती है, या कुछ मामलों में बैरेट इसोफेगस नाम की गंभीर समस्या भी हो सकती है
जब पेट खाना पचा रहा होता है, तो शरीर को गहरी, आराम देने वाली नींद में जाना मुश्किल हो जाता है। इससे बार-बार करवटें बदलना या नींद आने के बाद बीच में जाग जाना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। रिसर्च में पाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति सोने से एक घंटे के अंदर खाना या पीना करता है, तो उसके रात में 30 मिनट या उससे ज्यादा समय तक जागे रहने की संभावना लगभग दोगुनी हो जाती है।
भोजन के तुरंत बाद सोने से चयापचय दर धीमी हो जाती है और दैनिक गतिविधियों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता कम हो जाती है। इसका मतलब है कि शरीर व्यक्ति जो खाता है उसे जलाने के बजाय ज़्यादा संग्रहीत करता है। इससे धीरे-धीरे वज़न बढ़ना और मोटापा हो सकता है, जो हार्ट डिजीज के दो प्रमुख जोखिम कारक हैं।
स्वस्थ लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि देर रात खाना खाने से शरीर में शुगर को संभालने की क्षमता कम हो जाती है और फैट जलने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। यानी, अगर आदत बन जाए कि रात में बहुत देर से खाना खाएं, तो धीरे-धीरे वजन बढ़ सकता है और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी दिक्कतें (जैसे डायबिटीज या मोटापा) हो सकती हैं।
देर रात ज्यादा खाने पर एक रिव्यु में हाई ब्लड प्रेशर डिस्लिपिडेमिया और बढ़ी हुई सूजन के साथ संबंध भी दिखाए गए हैं, जो सभी हृदय संबंधी जोखिम में योगदान करते हैं। सोने से बहुत पहले खाने से स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ सकता है। हालांकि तंत्र पूरी तरह से स्थापित नहीं हैं, एक मान्यता यह भी है कि शरीर के मेटाबॉलिज़्म में गड़बड़ी के साथ-साथ एसिड रिफ्लक्स यानी पेट का एसिड ऊपर आना और उससे होने वाली जलन या सूजन भी इस समस्या में भूमिका निभा सकती है।
पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है। पाचन तंत्र को भोजन को पचाने के लिए समय चाहिए। जब कोई व्यक्ति बहुत जल्दी लेट जाता है, तो यह प्रक्रिया बाधित होती है। इससे अपच, सूजन, गैस, ऐंठन या मतली हो सकती है। यह बेचैनी आराम में खलल डाल सकती है और समय के साथ खराब आंत स्वास्थ्य में योगदान दे सकती है। किसी भी भोजन के बाद विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन के बाद शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
अगर कोई व्यक्ति खाने के बाद थोड़ा टहलने या हल्की-फुल्की हरकत करने के बजाय सीधे लेट जाता है, तो मांसपेशियाँ शरीर में मौजूद शुगर को उतनी तेजी से इस्तेमाल नहीं कर पातीं। नतीजा ये होता है कि ब्लड शुगर लंबे समय तक बढ़ा रहता है। अगर ऐसा बार-बार होता रहे, तो शरीर में इंसुलिन का असर कम होने लगता है जिसे इंसुलिन रेज़िस्टेंस कहते हैं और ये आगे चलकर टाइप 2 डायबिटीज़ का कारण बन सकता है।
देर रात खाना खाने से भी यही असर देखा गया है इससे शरीर रात में शुगर को सही तरह से संभाल नहीं पाता। इसलिए डॉक्टर और पाचन विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खाना खाने के बाद कम से कम 2 से 3 घंटे तक न लेटें। इससे पाचन ठीक रहता है और शरीर पर बोझ नहीं पड़ता।
Published on:
06 Oct 2025 11:13 am
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