स्वास्थ्य

भारत में साइलेंट महामारी! 80% मरीजों में सुपरबग्स, Lancet स्टडी का बड़ा खुलासा

Superbugs in India: Lancet की नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि भारत के 80% से ज्यादा मरीजों में मल्टी-ड्रग रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया पाए गए हैं। जानिए AMR के कारण और बचाव के उपाय।

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Dec 17, 2025
Superbugs in India (Photo- freepik)

Superbugs in India: हाल ही में Lancet eClinical Medicine में छपी एक स्टडी ने भारत को लेकर एक डराने वाली सच्चाई सामने रखी है। इस रिसर्च के मुताबिक, भारत के 80% से ज्यादा मरीजों के शरीर में मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया (सुपरबग्स) पाए गए हैं। इसका मतलब साफ है कि देश में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट (AMR) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। AIIMS दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डॉ. हितेंदर गौतम के मुताबिक, सिर्फ दवाओं का गलत इस्तेमाल ही नहीं, बल्कि हमारे आसपास का माहौल, खाना और पशुपालन भी इस संकट को और गंभीर बना रहे हैं।

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एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल कितना जिम्मेदार है?

भारत में लोग अक्सर डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक ले लेते हैं, दवा बीच में छोड़ देते हैं या पुरानी बची हुई दवाएं फिर से इस्तेमाल कर लेते हैं। यही आदतें बैक्टीरिया को और मजबूत बना देती हैं। ऊपर से भीड़भाड़, गंदगी, खराब साफ-सफाई और मेडिकल स्टोर पर आसानी से दवाएं मिल जाना AMR को और तेजी से बढ़ाता है। दुनिया भर के आंकड़े बताते हैं कि करीब 30% एंटीबायोटिक बेवजह ली जाती हैं, और यही सबसे बड़ी परेशानी है।

खाना और पानी भी बढ़ा रहे हैं खतरा

गंदा पानी और दूषित खाना भी रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया को शरीर तक पहुंचाने का जरिया बन रहे हैं। खराब सीवेज सिस्टम, गंदे नाले और सही वॉटर ट्रीटमेंट न होने की वजह से ये बैक्टीरिया वातावरण में फैलते रहते हैं और सीधे इंसान की आंतों तक पहुंच जाते हैं।

पशुपालन और पोल्ट्री की बड़ी भूमिका

मुर्गियों, मवेशियों और खेती में एंटीबायोटिक का बेहिसाब इस्तेमाल भी AMR को हवा दे रहा है। कई बार दवाएं जानवरों को जल्दी बढ़ाने या बीमारी से बचाने के नाम पर दी जाती हैं। ये बैक्टीरिया फिर दूध, मांस, अंडों या मिट्टी-पानी के जरिए इंसानों तक पहुंच जाते हैं। चिंता की बात ये है कि जानवरों में इस्तेमाल होने वाली कई दवाएं वही हैं जो इंसानों के इलाज में भी काम आती हैं।

जब आम दवाएं बेअसर हो जाती हैं

जब यूटीआई, निमोनिया या सेप्सिस जैसी आम बीमारियों पर एंटीबायोटिक काम नहीं करती, तो डॉक्टरों को महंगी और ज्यादा ताकतवर दवाएं देनी पड़ती हैं। इससे इलाज महंगा होता है, अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है और साइड इफेक्ट्स का खतरा भी बढ़ जाता है। कई मामलों में तो ऐसी स्थिति आ जाती है कि कोई दवा काम ही नहीं करती।

आम लोगों को क्या करना चाहिए?

लोगों को चाहिए कि डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक न लें, पूरी दवा सही समय तक खाएं और बची हुई दवाएं दोबारा इस्तेमाल न करें। सिस्टम लेवल पर दवाओं की बिक्री पर सख्ती, सही जांच की सुविधा और जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। नहीं तो आने वाले समय में मामूली बीमारी भी जानलेवा बन सकती है।

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Published on:
17 Dec 2025 12:15 pm
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