Kuposhan: कुपोषण से पीड़ित चार महीने के हुसैन रजा की मौत हो गई। 18 अक्टूबर को परिजन शिशु को अस्पताल लाए थे। यह एक ऐसी बीमारी है जो सही पोषण की कमी के कारण होती है।
Kuposhan Symptoms: एक बार फिर कुपोषण ने एक मासूम की जान ले ली है, जिससे यह गंभीर समस्या और भी उजागर हो रही है।मध्य प्रदेश के सतना जिले का मामला। जिला अस्पताल में अति गंभीर कुपोषण से पीड़ित चार महीने के हुसैन रजा की मौत हो गई। 18 अक्टूबर को परिजन शिशु को अस्पताल लाए थे। यह एक ऐसी बीमारी है जो सही पोषण की कमी के कारण होती है और इसके लक्षण शुरुआत में पहचानना मुश्किल हो सकता है। हालांकि, सही समय पर इलाज और सावधानी से इससे बचाव किया जा सकता है। आइए, जानते हैं कुपोषण के लक्षण, इसके कारण और बचाव के उपाय, ताकि हम सभी मिलकर इसे रोक सकें।
कुपोषण एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे शरीर का सामान्य कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। शरीर को ठीक से चलाने के लिए जो पोषक तत्व जरूरी होते हैं, जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, पानी, वसा और लवण, इनका उचित मात्रा में होना जरूरी है। अगर आहार में ये तत्व नहीं मिल पाते हैं, तो व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो सकता है।
भारत में लगभग 16% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं, जिनमें से 5 साल से कम उम्र के करीब 3 करोड़ बच्चे प्रभावित हैं। पोषण ट्रैकर के अनुसार, 37.07% बच्चे नाटेपन और 19.3% बच्चे वजन में कमी से पीड़ित हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, 35.5% बच्चे बौने हैं, 32.1% बच्चे कम वजन वाले हैं, और 7.7% बच्चे वेस्टिंग से ग्रस्त हैं।
जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है और इसका असर हाइट और वेट पर पड़ता है, तो इसे अल्पपोषण कहते हैं। यह स्थिति तब बनती है जब आहार में पर्याप्त पोषण की कमी हो।
अतिपोषण में शरीर को अधिक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे वजन बढ़ता है और मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रोक, और हृदय रोग जैसी नॉन-कम्युनिकेबल बीमारियां हो सकती हैं।