Cancer Treatment: आंत के कैंसर के इलाज में जापान के वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता। समुद्री बैक्टीरिया Photobacterium angustum ने बिना कीमोथेरेपी ट्यूमर को खत्म किया। जानिए पूरी रिसर्च।
Cancer Treatment: आंत का कैंसर, जिसे कोलोरेक्टल कैंसर भी कहते हैं, आज भी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। हर साल करीब 19 लाख लोग इसकी चपेट में आते हैं और लगभग 9 लाख लोगों की जान चली जाती है। अमेरिका में ही 2024 में डेढ़ लाख से ज्यादा मामले सामने आए। भारत जैसे विकासशील देशों में स्थिति और मुश्किल है, क्योंकि यहां स्क्रीनिंग कम होती है और उम्रदराज आबादी बढ़ रही है।
इस कैंसर की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इसके लक्षण जल्दी सामने नहीं आते। खून वाली पॉटी, अचानक वजन कम होना या टॉयलेट की आदतों में बदलाव, ये सब लक्षण तब दिखते हैं जब बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है। यही वजह है कि समय पर कोलोनोस्कोपी जैसी जांच बेहद जरूरी है। कुल मिलाकर इस कैंसर में औसतन सर्वाइवल रेट 65% है, लेकिन अगर बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाए तो यही आंकड़ा 90% तक पहुंच जाता है।
अब इसी बीच जापान से एक चौंकाने वाली और उम्मीद जगाने वाली खबर आई है। जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (JAIST) के वैज्ञानिकों का दावा है कि समुद्र में पाया जाने वाला एक खास बैक्टीरिया आंत के कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी साबित हो सकता है। इस बैक्टीरिया का नाम है Photobacterium angustum।
वैज्ञानिकों ने कई समुद्री बैक्टीरिया पर रिसर्च की, लेकिन चूहों पर किए गए परीक्षणों में सिर्फ P. angustum ने शानदार नतीजे दिखाए। इसने ट्यूमर को काफी हद तक छोटा कर दिया, मरीज (माउस मॉडल) ज्यादा समय तक जिए और साइड इफेक्ट भी बेहद कम रहे। यह बैक्टीरिया सीधे कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाता है। कैंसर ट्यूमर के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है, और यही माहौल इस बैक्टीरिया को पसंद आता है। वहां पहुंचते ही यह कैंसर कोशिकाओं को तोड़ देता है और साथ ही शरीर की इम्यून सिस्टम को भी एक्टिव कर देता है। टी-सेल्स बढ़ती हैं, जिससे दोबारा कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है।
सबसे अच्छी बात यह है कि इस बैक्टीरिया को जेनेटिकली मॉडिफाई नहीं किया गया। इसे सीधे शरीर में इंजेक्ट किया गया और यह खुद-ब-खुद सिर्फ ट्यूमर में जमा हुआ, लिवर या फेफड़ों जैसे दूसरे अंगों को नुकसान नहीं पहुंचाया। कीमोथेरेपी की तरह पूरे शरीर पर असर नहीं पड़ा।
यह रिसर्च Journal for ImmunoTherapy of Cancer में छपी है। आगे की जांच में यह बैक्टीरिया सूजन से जुड़े आंत के कैंसर और यहां तक कि दवाओं से न मानने वाले ब्रेस्ट कैंसर में भी असरदार पाया गया। हालांकि यह अभी इंसानों पर ट्रायल के स्तर तक नहीं पहुंचा है, लेकिन उम्मीद बहुत बड़ी है। अगर सब ठीक रहा, तो भविष्य में कैंसर के मरीजों को कम दर्द, कम साइड इफेक्ट और ज्यादा असरदार इलाज मिल सकता है। यह खोज हमें याद दिलाती है कि प्रकृति खासकर समुद्र में अब भी ऐसे खजाने छिपे हैं, जिनसे इंसान की जान बचाई जा सकती है।