Bastar Dussehra 2025: बस्तर दशहरा का परंपरागत काछनगादी विधान 21 सितंबर को: पीहू दास तीसरी बार काछन देवी बनेंगी और कांटों के झूले पर झूलेंगी।
अमित मुखर्जी/Bastar Dussehra 2025: बस्तर दशहरा का प्रमुख विधान काछनगादी है। इस विधान में एक कन्या को काछनदेवी का रूप माना जाता है। इस बार काछनदेवी बनने के लिए पीहू को आमंत्रित किया गया है। पीहू लगातार तीसरी बार अपने में काछन देवी को धारण करेंगी। इस कर्मकांड को लेकर पीहू काफी उत्साहित हैं। काछन देवी बनी नाबालिग कन्या को देवी स्वरूपा मानकर बेल के कांटों के झूले पर झुलाया जाता है। इस वर्ष पीहू कांटों से भरे झूले पर झूलकर रथ परिक्रमा की अनुमति देंगी।
पीहू एक निजी स्कूल में कक्षा तीसरी में अध्ययनरत है। उन्होंने बताया कि दशहरा पर्व के दौरान पखवाड़ेभर उपासना के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है, जिससे वह थोड़ी चिंतित रहती हैं। हालांकि, उनका कहना है कि पर्व के बाद सहेलियों की मदद से वह स्कूल में छूटे विषयों को पूरा कर लेती हैं। मां दंतेश्वरी की कृपा से उन्हें कोई कठिनाई नहीं आती।
पीहू दास का कहना है कि देवी बनना उन्हें अच्छा लगता है और भविष्य में भी इस तरह का सम्मान पाना चाहती हैं। इसी कारण वह मन लगाकर पढ़ाई कर आईएएस अफसर बनने का सपना देख रही हैं।
Bastar Dussehra 2025: ज्ञात हो कि दशहरा पर्व के दौरान भंगाराम चौक स्थित काछन गुड़ी में एक कन्या को काछन देवी के रूप में श्रृंगारित कर कांटे के झूले में झुलाया जाता है। इस वर्ष काछन पूजा विधान 21 सितंबर की शाम को संपन्न होगा। बीते 20 वर्षों में उर्मिला, कुंती, विशाखा और अनुराधा काछन देवी बन चुकी हैं, जबकि पिछले दो वर्षों से पीहू दास यह दायित्व निभा रही हैं।