Ramlala: प्रभु श्री रामलला अयोध्या मे प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपनी सम्पूर्ण दिव्यता और आभा से सुशोभित हैं। जन्माष्टमी में बस्तर के श्रमसाधकों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए पीले खादी सिल्क से निर्मित शुभवस्त्र से सुशोभित प्रभु श्री रामलला की अलौकिक छटा दर्शनीय है।
Ramlala: जन्माष्टमी के अवसर पर बस्तर के शिल्पियों ने अयोध्या के श्रीरामलला के लिए उपहार भेजा। ननिहाल से भेजे गए विशेष परिधान से अयोध्या में श्री रामलला सुशोभित हुए। रामलला के लिए बस्तर के शिल्पियों द्वारा बुने गए पीले खादी सिल्क से निर्मित यह परिधान छत्तीसगढ़वासियों के प्रेम, आस्था और समर्पण का प्रतीक है।
बता दें कि अयोध्या के श्रीरामलला (Ramlala)बस्तर के श्रमसाधकों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए पीले खादी सिल्क से निर्मित शुभ वस्त्र से सुशोभित हुए। इस खादी सिल्क को असली स्वर्ण-चूर्ण से हस्त छपाई कर मेहनत से तैयार किया गया।
Ramlala: बस्तर अंचल जिसे दंडकारण्य भी कहा जाता है। यहां प्रभु राम ने वनवास काल का अधिकांश समय व्यतीत किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पुनीत अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ (Ramlala) स्थल में श्रीरामलला को छत्तीसगढ़ में निर्मित पीली खादी सिल्क से निर्मित वस्त्र धारण कराना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।
यह वस्त्र बस्तर के शिल्पियों द्वारा निर्मित है। दंडकारण्य जहां मर्यादा पुरुषोत्तम ने अपने वनवास का अधिकांश समय व्यतीत किया, वहां से भेजा वस्त्र धारण करने का समाचार वास्तव में भावुक करने वाला है। भांचा श्रीराम की कृपा उनके ननिहाल पर बरसती रहे यही कामना है।
प्रदेश की जनता को अयोध्या में प्रभु श्री रामलाल के दर्शन करने के लिए शुक्रवार को छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और आईआरसीटीसी के बीच एमओयू हुआ। यहां पढ़ें पूरी खबर..
रामलला के दरबार में मनेगी यह पहली कृष्ण जन्माष्टमी
रामनगरी के मठ-मंदिरों में रविवार से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का अनुष्ठान शुरू हो गया। इस बार रामलला के दरबार में भव्यता पूर्वक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली जन्माष्टमी होगी। यहां पढ़ें पूरी खबर..