जयपुर

RIMS मुद्दे पर अशोक गहलोत ने सीएम भजनलाल पर साधा निशाना, साथ ही दी ये बड़ी सलाह

Ashok Gehlot : राजस्थान विधानसभा ने RIMS बिल को मंजूरी दे दी। इसमें राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) और स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का विलय होगा। इस मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार पर निशाना साधा और सलाह भी दी।

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कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत। पत्रिका फोटो

Ashok Gehlot : राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) बिल को मंजूरी दे दी गई। रिम्स बिल के पारित होने के साथ ही जयपुर में राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। इस बिल के तहत रिम्स को एक स्वायत्त संस्था के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसमें राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (RUHS) और स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का विलय होगा। इस मामले पर कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार को घेरा और कहा राज्य सरकार ने जयपुर में एम्स की तर्ज पर रिम्स अस्पताल स्थापित करने का निर्णय तो लिया है, लेकिन इस घोषणा के तहत कोई नया संस्थान बनाने की बजाय, वह पहले से स्थापित आरयूएचएस और राज्य कैंसर संस्थान का अधिग्रहण करेगी। इससे पहले से मौजूद दोनों संस्थानों की व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाएंगी और इसका प्रतिकूल प्रभाव डॉक्टरों और मरीजों पर पड़ना शुरू हो गया है।

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RIMS एक नया संस्थान बनाना चाहिए था

अशोक गहलोत ने कहाकि RUHS पहले से ही एक स्वायत्त विश्वविद्यालय है। जिसने कोविड के दौरान उत्कृष्ट उपचार के लिए दुनियाभर में ख्याति प्राप्त की। RUHS को रिम्स में बदलने से यहां की मेडिकल सीटें भी खत्म हो जाएंगी। भाजपा सरकार को एक पुराने संस्थान को बंद करने के बजाय, RIMS एक नया संस्थान बनाना चाहिए था।

भजनलाल सरकार के लिए होती उपलब्धि

अशोक गहलोत ने आगे कहाकि यदि रिम्स के रूप में एक नया संस्थान बनाया जाता तो जनता को अधिक लाभ होता और भजनलाल सरकार के लिए भी यह एक नई उपलब्धि होती।

रिम्स के लिए विशेष अनुदान लेकर नया संस्थान बनवाएं

अशोक गहलोत ने कहाकि भाजपा नेता दावा करते थे कि डबल इंजन की सरकार बनने के बाद केंद्र से राज्य को मिलने वाले धन की कोई कमी नहीं होगी। ऐसे में अगर राज्य के पास धन की कमी है, तो रिम्स के लिए विशेष अनुदान लेकर एक नया संस्थान बनवाएं। पहले से मौजूद संस्थानों का नाम बदलना उचित परंपरा नहीं है।

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Published on:
09 Sept 2025 01:58 pm
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