जयपुर

1500 करोड़ का ‘पेमेंट स्कैम’ बेनकाब, भ्रष्टाचार की ‘पूरी चेन’ जांच के घेरे में,फोटो दिखाकर उठाया एडवांस पेमेंट

Jal Jeevan Mission: जयपुर। जल जीवन मिशन घोटाला फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 900 करोड़ के टेंडर लेने तक ही सीमित नहीं है। घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी की जांच का दायरा बढ़ा तो जेजेएम में इंजीनियरों और फर्मों की मिलीभगत से किए गए घोटालों की परतें भी खुलेंगी।

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Dec 20, 2025
जल ​जीवन मिशन में फर्जीवाड़े की खुलने लगी परतें, पत्रिका फोटो

Jal Jeevan Mission: जयपुर। जल जीवन मिशन घोटाला फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 900 करोड़ के टेंडर लेने तक ही सीमित नहीं है। घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी की जांच का दायरा बढ़ा तो जेजेएम में इंजीनियरों और फर्मों की मिलीभगत से किए गए घोटालों की परतें भी खुलेंगी। जयपुर, जोधपुर,बांसवाड़ा, दूदू, सीकर सहित प्रदेश के 12 रीजन में फर्मों ने निर्माण सामग्री मौके पर पहुंचाए बिना सिर्फ फोटो दिखा कर ही इंजीनियरों से मिलीभगत कर 1200 से 1500 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट फर्मों ने लिया।

जल भवन की JJM विंग में एसआईटी की रेड के बाद पत्रिका ने जेजेएम की पेयजल परियोजनाओं में किए गए घोटाले से जुड़े अन्य पहलूओं की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। जेजेएम की परियोजनाओं में 70 प्रतिशत सामग्री मौके पर पहुंचने पर भुगतान का नियम था। लेकिन इंजीनियरों ने इस नियम को नहीं माना और फर्मों ने किसी एक साइट से सामग्री का फोटो खींच कर कई साइट पर सामग्री पहुंचना दिखाया और एडवांस भुगतान उठाया।

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कई जगह रातों रात पाइप मौके पर डलवाए

जानकारी के अनुसार फर्मों की इस कारगुजारी भनक 2024 में विभाग के आला अफसरों को लगी तो फर्में ने रातों रात पाइप साइटों पर डलवा दिए। लेकिन इस गड़बड़झाले की कोई जांच नहीं की गई और इसके बाद भी फर्में फोटो दिखा कर एडवांस पेमेंट उठाती रहीं। विभाग के अधिकारियों के अनुसार SIT की जांच का दायरा बढ़े तो एडवांस पेमेंट के घोटाले की परतें भी खुल सकती हैं।

तत्कालीन ACS सहित अन्य के खिलाफ केस दर्ज

एसीबी ने जल जीवन मिशन में फर्जी दस्तावेजों से टेंडर जारी करने का दूसरा मामला गत वर्ष दर्ज किया था। इसी मामले में हाल ही में सरकार ने जलदाय विभाग के तत्कालीन ACS (आइएएस) सुबोध अग्रवाल, चीफ इंजीनियर दलीप गौड़, अधीक्षण अभियंता मुकेश गोयल, चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता, एडिशनल चीफ इंजीनियर सुधांशु दीक्षित और एक्सईएन संजय अग्रवाल के खिलाफ जांच की अनुमति दी है।

एसआइटी ने इस मामले में 10 हजार करोड़ के टेंडर, इरकॉन कंपनी के फर्जी प्रमाण पत्रों पर लिए गए 900 करोड़ के टेंडरों से जुडे दस्तावेज, 5 जिलों में बिना काम 50 करोड़ से ज्यादा भुगतान मामले से जुड़ी पत्रावलियों को गुरुवार को ही जल भवन से जब्त किया था। अब इन दस्तावेजों की जांच के बाद इन अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

प्रोजेक्ट में ऐसे किया फर्जीवाड़ा

पीएचईडी अधिकारियों से मिलीभगत कर जल जीवन मिशन के तहत निविदा संख्या 15/21-22 व 33/21-22 में श्याम ट्यूबवेल के प्रोपराइटर पदमचंद जैन और गणपति ट्यूबवेल के प्रोपराइटर महेश कुमार मित्तल ने पीएचईडी के अधिकारियों से मिलीभगत कर कार्य प्राप्त किया।

आरोप है कि बहरोड़ खंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता माया लाल सैनी, सहायक अभियंता राकेश चौहान और कनिष्ठ अभियंता प्रदीप कुमार की सांठगांठ से घटिया व अनियमित कार्य किया गया। मेजरमेंट बुक में मनमाने ढंग से आंकड़े भरकर राजकोष से करोड़ों रुपए का भुगतान उठाया गया। मामले में छह आरोपी पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

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Published on:
20 Dec 2025 08:44 am
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