पत्रिका ने खबर प्रकाशित कर जोकरमल की पीड़ा प्रशासन के सामने रखी थी। खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन और चिकित्सा विभाग हरकत में आए और जोकरमल के घर पहुंचकर उसे बेड़ियों से आजाद कराया।
सूरजगढ़ (झुंझुनूं). जाखोद गांव में नौ साल से अपने ही घर में जंजीरों से जकड़ा व्यक्ति जोकरमल अब आज़ाद सांस ले रहा है। दीपों के त्योहार पर उसके जीवन में भी उम्मीद की लौ जल उठी है। पत्रिका ने खबर प्रकाशित कर उसकी पीड़ा प्रशासन के सामने रखी थी। खबर प्रकाशित होने के बाद प्रशासन और चिकित्सा विभाग हरकत में आए और जोकरमल के घर पहुंचकर उसे बेड़ियों से आजाद कराया। उसे चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई।
पत्रिका में प्रकाशित खबर के बाद बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. जितेन्द्र भाम्बू ने टीम का गठन किया। टीम ने जाखोद गांव पहुंचकर जोकरमल को जंजीरों से मुक्त कराया। उसके बाल कटवाए, दाढ़ी बनवाई और नहलाया। इसके बाद खाना खिलाकर दवाई दी गई। इस दौरान जोकरमल ने लक्ष्मीजी के आगे दीया जलाया और आरती की।
मेडिकल टीम ने जोकरमल का डिसएबिलिटी सर्टिफिकेट (विकलांगता प्रमाणपत्र) जारी किया है। विद्यालय में अस्थायी ठहराव की व्यवस्था की गई है। परिजन को नियमित इलाज और देखभाल के निर्देश दिए गए। साथ ही आशा सहयोगिनी को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। सरपंच रुकेश के पति सुनील बिजारणिया ने मरीज को रजाई दी और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
सुनील बिजारणिया ने बताया कि पंचायत द्वारा जोकर को निशुल्क पट्टा (भूमि आवंटन) जारी किया गया है। इससे परिवार को स्थायी आवास की सुविधा मिलेगी। वहीं ब्लॉक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने जोकर के दोनों बच्चों को 'पालनहार योजना' से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की है। यह योजना बच्चों को आर्थिक सहायता और शिक्षा का अवसर प्रदान करेगी।
टीम ने जोकर को बेहतर इलाज के लिए जयपुर रेफर करने की बात कही। लेकिन जोकर की पत्नी नरेश देवी ने भावुक होकर इनकार कर दिया। उसने कहा कि मैं अपने पति को घर पर ही रखूंगी और उनकी सेवा खुद करूंगी।
यह थे टीम में
टीम में वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. कपूर थालौर, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर रतन टेलर और एम्बुलेंस ड्राइवर नरेश कुमार शामिल थे। उनके साथ सुनील बिजारणिया, आंगनबाड़ी सहायिका उषा, विजय गुवारिया, सुमेर सिंह, दिनेश कुमार (ब्लॉक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी, सूरजगढ़) और कनिष्ठ सहायक शक्तिमान आदि जोकरमल के घर पहुंचे।