Atal Bihari Vajpayee Birthday: जब अटल जी ने कहा था ' कुछ लड्डू-वड्डू खिलाइए'... जानिए अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े 10 किस्से जो शायद ही आपको पता हों।
Atal Bihari Vajpayee 101st Birthday: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से रिश्ता किसी से छिपा नहीं है। नवाबों के इस शहर से उनका जुड़ाव गहरा रहा। उनके जन्मदिन पर हर जगह उनके व्यक्तित्व, सादगी और लखनऊ से जुड़े किस्सों को याद किया गया। इसी कड़ी में अटल जी के लखनऊ से जुड़े कुछ रोचक और यादगार प्रसंगों के बारे में आपको बताते हैं।
यह घटना साल 1957 के चुनाव की है, जब अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ संसदीय सीट से चुनाव मैदान में थे। उनके सामने कांग्रेस के प्रत्याशी पुलिन बिहारी बनर्जी, जिन्हें लोग प्यार से ‘दादा’ कहते थे, खड़े थे। चुनाव के नतीजों में बनर्जी को जीत मिली और अटलजी को हार का सामना करना पड़ा।
नतीजों के बाद जनसंघ कार्यालय में हार-जीत पर चर्चा चल रही थी। तभी अटलजी वहां से उठे और कुछ साथियों के साथ सीधे अपने प्रतिद्वंद्वी बनर्जी के घर पहुंच गए। अटलजी को दरवाजे पर देखकर घर में मौजूद लोग थोड़े असहज हो गए। मुस्कुराते हुए अटलजी ने कहा, “दादा, जीत की बधाई। चुनाव में तो आपने बहुत कंजूसी दिखाई, लेकिन अब तो कुछ लड्डू-वड्डू खिलाइए।” अटलजी की यह बात सुनकर वहां मौजूद सभी लोग हंस पड़े और माहौल हल्का हो गया।
नंबर 2
1957 के विधानसभा चुनावों के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से चुनाव मैदान में थे। प्रचार के बीच उन्होंने अपने करीबी सहयोगी चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री से पूछा कि फूलकुमारी बुआ कहां रहती हैं। अग्निहोत्री ने बताया कि उनका घर उनके ही मोहल्ले के पास है। फूलकुमारी शुक्ल, अटल जी के ग्वालियर में गुरु रहे त्रिवेणी शंकर वाजपेयी की बहन थीं, जिनके प्रति अटल जी के मन में गहरा सम्मान था।
एक रात अटल जी बिना किसी को बताए अग्निहोत्री के घर पहुंचे और उन्हें साथ लेकर सीधे फूलकुमारी जी के घर चले गए। वहां पहुंचकर उन्होंने बुआ के चरण स्पर्श किए और कुशलक्षेम पूछा। बुआ ने पहले किसी सवाल का जवाब नहीं दिया, बल्कि वहां मौजूद सभी लोगों को अटल जी से चरण स्पर्श कराने का निर्देश दे दिया। अटल जी ने बुआ की बात को आदेश मानते हुए पंक्ति में खड़े सभी लोगों के पैर छुए, चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग। जब कुछ लोगों ने संकोच में उनका हाथ बीच में रोकने की कोशिश की, तो अटल जी मुस्कुराते हुए बोले, “यह बुआ का आदेश है, और आदेश का पालन तो होगा ही।”
नंबर 3
जनसंघ लखनऊ की ओर से बेगम हजरत महल पार्क में अटल बिहारी वाजपेयी जी के सम्मान में एक धन्यवाद सभा आयोजित की जा रही थी, लेकिन उसी दौरान अटल जी को एक जरूरी काम से ग्वालियर जाना था। उस समय वे लखनऊ में आरिफ बेग के साथ ठहरे हुए थे। रात करीब 10 बजे कुछ युवा कार्यकर्ता अटल जी से मिलने पहुंचे और आग्रह किया कि उन्हें सभा को संबोधित करना है। इस पर अटल जी ने कहा कि अगली सुबह 8 बजे उन्हें रवाना होना है, ऐसे में सभा करना संभव नहीं होगा। तब युवाओं ने उत्साह से जवाब दिया कि सभा सुबह 7 बजे रख ली जाएगी।
यह सुनकर अटल जी ने मुस्कुराते हुए पूछा कि इतनी सुबह कैसी सभा होगी। इस पर कार्यकर्ता जोश में बोले, “अटल जी, भयंकर सभा होगी।” यह सुनकर अटल जी ने वहीं मौजूद आरिफ बेग की ओर देखते हुए मजाकिया अंदाज में कहा, “क्यों जी, भयंकर सभा में जाना चाहिए कि नहीं?”
नंबर 4
1995 में अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ पहुंचे थे, जहां वे BJP के मेयर प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव प्रचार कर रहे थे। मंच से भाषण की शुरुआत करते हुए अटल जी ने कहा, “आज से करीब 40 साल पहले मैं जवान हुआ करता था। गंजिंग करता था और कैसरबाग चौराहे पर बैठा करता था। अब कोई यह पूछ सकता है कि एक जवान लड़का लखनऊ की शामों में गंजिंग क्यों करता था और कैसरबाग चौराहे पर क्यों बैठा रहता था?”
उनकी यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग हंस पड़े, सीटियां बजीं और तालियों की गूंज सुनाई देने लगी। इसके बाद अटल जी ने गंभीर होते हुए कहा, “आज लखनऊ बीमार हो गया है। हम इसका इलाज कराने आए हैं और अपने साथ डॉक्टर भी लाए हैं—डॉक्टर एस.सी. राय। ये लखनऊ की बीमारी को दूर करेंगे, ताकि आप फिर से बेफिक्र होकर गंजिंग कर सकें और कैसरबाग चौराहे पर बैठ सकें।”
नंबर- 5
लखनऊ के चौक इलाके में स्थित मशहूर राजा ठंडाई की दुकान पर एक दिन एक दिलचस्प वाकया देखने को मिला। दुकान के मालिक विनोद तिवारी अपनी दुकान पर बैठे थे, तभी अचानक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वहां पहुंच गए। उनके साथ लालजी टंडन, कलराज मिश्र और राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी।
दुकान पर खड़े-खड़े अटल जी किसी मुद्दे पर राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र से बातचीत कर रहे थे। इसी बीच विनोद तिवारी ने इशारों में ठंडाई के स्वाद के बारे में पूछा—“कैसी… सादी?” इस पर अटल जी मुस्कुराए और तुरंत मजाकिया अंदाज में जवाब दिया—“मैं और सादी! मैंने तो शादी ही नहीं की है, इसलिए स्वाद भी नहीं जानता।”
नंबर-6
लखनऊ की मेयर रह चुकी संयुक्ता भाटिया के पति और उस समय कैंट विधायक रहे सतीश भाटिया के निधन पर अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ पहुंचे थे। उन्होंने ना सिर्फ श्रद्धांजलि दी, बल्कि शवयात्रा में भी पूरी संवेदनशीलता के साथ शामिल हुए। अटल जी आलमबाग श्मशान घाट तक पैदल ही शवयात्रा के साथ चलते रहे। अधिकारियों ने उन्हें सुरक्षा और वाहन लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। अटल जी ने कहा था, “शवयात्रा में कोई गाड़ी से नहीं चलता।” इतना ही नहीं, वे श्मशान घाट पर तब तक बैठे रहे, जब तक अंत्येष्टि की पूरी प्रक्रिया संपन्न नहीं हो गई।
नंबर- 7
लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिजली विभाग में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए अधिशासी अभियंता कृष्णा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले को तत्कालीन राज्यपाल ने गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए। साथ ही हजरतगंज थाने में संबंधित अधिकारी के खिलाफ FIR दर्ज कराने का निर्देश भी दिया गया।
पुलिस ने मामले की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि आरोपों के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। इसी आधार पर आरोपी को क्लीन चिट देते हुए पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल कर दी। फाइनल रिपोर्ट दाखिल होने के बाद अदालत लगातार अटल बिहारी वाजपेयी को नोटिस भेजकर पेश होने और अपना पक्ष रखने को कहती रही। हालांकि, उस समय अस्वस्थता के चलते अटल बिहारी वाजपेयी कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को समाप्त कर दिया। इस तरह लंबा चला यह कानूनी मामला औपचारिक रूप से खत्म हो गया।
नंबर- 8
अटल बिहारी वाजपेयी जी एक बार हजरतगंज में खड़े थे, तभी अचानक एक टेंपो आकर रुका और उसमें से एक सरदार जी उतरे। अटल जी ने उन्हें देखते ही पहचान लिया और आगे बढ़कर गले लगा लिया। इसके बाद वे काफी देर तक उनका हाथ पकड़े हुए बातचीत करते रहे। अटल जी के साथ खड़े दिनेश शर्मा जी को लगा कि शायद ये उनके कोई पारिवारिक मित्र या पुराने सहयोगी होंगे, हालांकि चेहरा उन्हें कहीं जाना-पहचाना भी लग रहा था।
थोड़ी झिझक के बाद दिनेश शर्मा जी ने अटल जी के कान में धीरे से पूछा कि क्या ये ग्वालियर से हैं। इस पर अटल जी चौंकते हुए बोले, “अरे, तुम हरकिशन सिंह सुरजीत जी को नहीं पहचानते?” इसके बाद वे सुरजीत जी की ओर मुड़े और मुस्कराते हुए बोले, “कम्युनिस्ट लोगों की अब ये हालत हो गई है, सुरजीत साहब!”
नंबर- 9
यह किस्सा साल 1990 का है, जब लालकृष्ण आडवाणी रथयात्रा पर निकले हुए थे और अटल बिहारी वाजपेयी जी उनके समर्थन में लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे थे। उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। हालात ऐसे थे कि प्रशासन पूरी तरह सतर्क था और उस समय के जिलाधिकारी अशोक प्रियदर्शी अटल जी को गिरफ्तार करने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे।
जैसे ही अटल बिहारी वाजपेयी जी की नजर जिलाधिकारी पर पड़ी, उन्होंने अपने चिर-परिचित विनोदी अंदाज में मुस्कुराते हुए कहा—
“हां भइया, कहां ले चलोगे, मेहमान बनाकर?”
नंबर-10
राम जन्मभूमि आंदोलन के दौर की यह घटना है, जब उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू था। अटल बिहारी वाजपेयी मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में भोजन कर रहे थे और उसी रात उन्हें दिल्ली लौटना था। तभी अचानक लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी और तत्कालीन राज्यपाल के सलाहकार वहां पहुंच गए। लालजी टंडन ने बताया कि अटल जी भोजन कर रहे हैं, लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी ने हाथ जोड़ते हुए गंभीर स्थिति से अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि अमौसी हवाई अड्डे पर दिल्ली जाने वाले विमान में एक युवक जबरन चढ़ गया है, जिसके हाथ में हथगोले जैसी वस्तु है। वह धमकी दे रहा है कि यदि अटल बिहारी वाजपेयी को नहीं बुलाया गया तो वह विमान को उड़ा देगा। यह सुनते ही लालजी टंडन ने आपत्ति जताई और कहा कि इस तरह अटल जी को वहां ले जाना बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने बिना किसी हिचकिचाहट के बीच में ही भोजन छोड़ा और कहा कि चलना होगा, क्योंकि यह कई लोगों की जान का सवाल है। इसके बाद वे सीधे एयरपोर्ट पहुंचे और दृढ़ता से विमान के पास ले जाने को कहा। सभी की चिंताएं बढ़ गईं, लेकिन किसी तरह तत्कालीन जिलाधिकारी के साथ वे विमान तक पहुंचे।
वह युवक अटल जी को अंदर बुलाने लगा। जैसे ही वह उनके पैर छूने के लिए झुका, सुरक्षा बलों ने उसे तुरंत पकड़ लिया। युवक ने हाथ में पकड़ी वस्तु फेंकते हुए बताया कि वह कोई विस्फोटक नहीं, बल्कि सुतली का गोला था। अटल जी ने मौके पर मौजूद BJP नेताओं से कहा कि युवक ने नादानी में यह कदम उठाया है, इसलिए उसकी जमानत कराकर भविष्य खराब होने से बचाया जाए।
विमान के भीतर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे सीताराम केसरी भी मौजूद थे। अटल बिहारी वाजपेयी को देखकर उन्होंने कहा कि जब उन्हें पता चला कि अटल जी लखनऊ में हैं, तभी उन्हें भरोसा हो गया था कि वे जरूर आएंगे और सभी सुरक्षित रहेंगे।