Yogi Janata Darshan: सोमवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'जनता दर्शन' में उस समय एक भावुक पल देखने को मिला जब मुरादाबाद से आई एक नन्ही बच्ची 'वाची' ने मुख्यमंत्री से मासूमियत भरी अपील की—"मैं स्कूल जाना चाहती हूं, आप मेरा एडमिशन करा दीजिए।" सीएम ने भी मानवीय संवेदनाओं के साथ तुरंत आदेश दे दिया।
Yogi Emotional Moment Janta Darshan: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तरफ जहाँ दृढ़ प्रशासक और सख्त नेतृत्वकर्ता की छवि रखते हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका भावुक और मानवीय पक्ष भी समय-समय पर जनता को देखने को मिलता है। सोमवार को ऐसा ही एक दृश्य तब सामने आया जब 'जनता दर्शन' के दौरान मुख्यमंत्री योगी से एक मासूम बच्ची ने स्कूल में दाखिला कराने की अपील की। इस मासूम बच्ची का नाम वाची है, जो मुरादाबाद से अपने परिजनों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने लखनऊ आई थी। जब मुख्यमंत्री योगी फरियादियों से मिल रहे थे, तो इसी बीच वाची की मासूमियत ने सबका ध्यान खींचा।
मुख्यमंत्री ने तुरंत प्रमुख सचिव (गृह) संजय प्रसाद को बच्ची का प्रार्थना पत्र सौंपा और सख्त निर्देश दिया कि
"इस बच्ची का एडमिशन हर हाल में करवाया जाए।"
जहां जनता दर्शन में आए लोग अपनी-अपनी फरियादों को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे, वहीं यह दृश्य एक राहत और सुकून का पल बन गया। बच्ची की मासूमियत और मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता ने एक सकारात्मक संदेश दिया। लोगों ने उस क्षण अपने गम भूलकर मुस्कुराना शुरू कर दिया। यह केवल एक बच्ची का स्कूल में दाखिला नहीं, बल्कि उस भावना का सम्मान था जो हर बच्चे के अंदर सीखने और आगे बढ़ने की इच्छा के रूप में पलती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आम तौर पर एक अनुशासनप्रिय और निर्णायक नेता के रूप में जाना जाता है। लेकिन बच्चों के साथ उनकी आत्मीयता का यह रूप नया नहीं है। चाहे किसी स्कूल का दौरा हो, बाल मेलों में शामिल होना हो या किसी कार्यक्रम में बच्चों की प्रस्तुति वे हमेशा बच्चों के साथ सहजता से संवाद करते हैं। उनके गोरखपुर स्थित आवास में भी जब वे गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में रहते हैं, वहां बच्चों से मेलजोल और उनका उत्साहवर्धन उनकी दिनचर्या का हिस्सा होता है।
जनता दर्शन से निकलते ही वाची ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मैं योगी जी से मिलकर आई हूं। मैंने उनसे कहा कि मुझे स्कूल जाना है, एडमिशन करवा दीजिए। उन्होंने कहा – करवा देंगे। फिर उन्होंने मुझे चॉकलेट और बिस्किट भी दी।"
वाची की यह बात सुनकर वहां खड़े लोगों की आंखें नम हो गईं और दिल से एक ही बात निकली “योगी जी दिल जीत लेते हैं।”
वाची का यह प्रकरण केवल एक भावुक क्षण नहीं, बल्कि यह उत्तर प्रदेश में शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता और सरकार की प्राथमिकता को भी दर्शाता है। बच्ची का आत्मविश्वास यह संकेत देता है कि जब बच्चों को खुलकर बोलने का मौका मिलता है, तो वे अपनी जरूरतें और सपने स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं। मुख्यमंत्री की इस त्वरित कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि शिक्षा किसी एक विभाग या आंकड़े का विषय नहीं, बल्कि भविष्य की नींव है, जिसे लेकर सरकार गंभीर और सजग है।
यह संवाद कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर वाची की मासूमियत और मुख्यमंत्री की मानवीय प्रतिक्रिया की जमकर सराहना हो रही है। यूजर्स ने लिखा: