लखनऊ

Lucknow Zero Waste Plant: लखनऊ बना ‘जीरो वेस्ट सिटी’: शिवरी प्लांट से हर दिन होगा 2000 टन कूड़े का निस्तारण

Lucknow Clean City Mission: लखनऊ ने स्वच्छता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शिवरी स्थित प्रोसेसिंग प्लांट में 700 मीट्रिक टन क्षमता की नई फ्रेश वेस्ट यूनिट का उद्घाटन किया। नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने यूनिट का शुभारंभ किया, जिससे अब 2000 टन कूड़े का शत-प्रतिशत वैज्ञानिक निस्तारण संभव हो सकेगा।

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Jun 22, 2025
अब लखनऊ बोलेगा – ‘ना गंदगी, ना कूड़ा’: जीरो वेस्ट का ऐलान फोटो सोर्स : Patrika

Lucknow Zero Waste City: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। शहर को अब आधिकारिक रूप से "Zero Waste City" घोषित कर दिया गया है। इस घोषणा के पीछे नगर निगम लखनऊ की वर्षों की मेहनत, वैज्ञानिक सोच और सतत विकास की योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

लखनऊ के शिवरी स्थित प्रोसेसिंग प्लांट में नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने 700 मीट्रिक टन क्षमता वाली नई फ्रेश वेस्ट यूनिट का उद्घाटन किया। इस नए प्लांट के जुड़ने से अब नगर निगम को प्रतिदिन उत्पन्न हो रहे 2000 मीट्रिक टन से अधिक कचरे का शत-प्रतिशत वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की क्षमता मिल गई है।

शहर के लिए मील का पत्थर साबित होगा यह प्लांट

शिवरी प्रोसेसिंग प्लांट में स्थापित यह नई यूनिट आधुनिक स्वदेशी तकनीक से लैस है, जो न सिर्फ कचरे को रिसाइक्लिंग व प्रोसेसिंग के जरिए पर्यावरण अनुकूल उत्पादों में परिवर्तित करती है, बल्कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था को एक नया स्तर भी प्रदान करती है।

नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने प्लांट में पहुंचकर नई मशीन के बटन को दबाकर औपचारिक रूप से यूनिट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल, नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त अरविंद कुमार राव सहित नगर निगम व स्वच्छता विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

मंत्री ने की नगर निगम की सराहना

अपने संबोधन में मंत्री ए.के. शर्मा ने नगर निगम लखनऊ की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह न सिर्फ लखनऊ के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि हम एक ऐसा शहर विकसित कर रहे हैं जो कूड़े को पूरी तरह से निस्तारित कर पा रहा है। इस मॉडल को देश के अन्य शहरों में भी अपनाया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि हर शहर स्वच्छ, सुरक्षित और सतत विकास की राह पर चले। शिवरी प्लांट का यह विस्तार उसी दिशा में एक ठोस कदम है।

प्लांट की क्षमताएं और संचालन प्रणाली

नव-स्थापित यूनिट की तकनीकी विशेषताओं की बात करें तो यह मशीन प्रति दिन 700 मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस कर सकती है। इससे पहले शहर में दो प्रोसेसिंग यूनिट थीं जो मिलकर लगभग 1300 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण करती थीं। नई यूनिट के जुड़ने से अब कुल क्षमता 2000 मीट्रिक टन से अधिक हो गई है। इसका अर्थ है कि अब लखनऊ में प्रतिदिन घरों, बाजारों और व्यावसायिक स्थलों से निकलने वाले सभी प्रकार के कचरे का शत-प्रतिशत निस्तारण होगा। इससे न केवल लैंडफिल साइटों पर दबाव कम होगा, बल्कि पर्यावरणीय प्रदूषण में भी भारी गिरावट आएगी।

क्या है "Zero Waste City"

"Zero Waste City" वह नगर होता है जहाँ उत्पन्न कचरे का शून्य प्रतिशत लैंडफिल में डाला जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि शहर में उत्पन्न समस्त कचरे को या तो रिसाइकल किया जाता है, या पुनः उपयोग में लाया जाता है, या ऊर्जा उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। लखनऊ देश का ऐसा पहला महानगर बन गया है जिसे यह उपलब्धि प्राप्त हुई है।

पर्यावरण और रोजगार को मिलेगा लाभ

शिवरी प्लांट के विस्तार से न केवल पर्यावरण को संरक्षण मिलेगा, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों की जानकारी सुनिश्चित की जा रही है ताकि उनका कार्य अधिक प्रभावशाली हो।

नागरिकों की भूमिका भी अहम

नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए शहरवासियों का सहयोग भी सराहनीय रहा है। लोगों ने अपने घरों से कचरे का पृथक्करण किया, गीले और सूखे कचरे को अलग करके नगर निगम की टीम को सौंपा। इस व्यवहारिक बदलाव ने निस्तारण की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाया।

क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ

पर्यावरणविद् डॉ. अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार, "लखनऊ का 'Zero Waste City' बनना पूरे देश के लिए एक मॉडल है। इससे प्रदूषण नियंत्रण, जल स्रोतों की शुद्धता और हवा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा। साथ ही, इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी भारी गिरावट आएगी।"

आगे की योजनाएं

नगर निगम लखनऊ अब इसी मॉडल को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अपनाने की दिशा में अग्रसर है। योजना है कि प्रत्येक वार्ड में कचरा प्रबंधन और निस्तारण की स्थानीय इकाइयां स्थापित की जाए जिससे ट्रांसपोर्टेशन लागत कम हो और प्रोसेसिंग ज्यादा प्रभावी हो। इसके अलावा, नगर निगम द्वारा स्कूलों और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर स्वच्छता और कचरा प्रबंधन पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे ताकि नागरिकों की भागीदारी बनी रहे।

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