Iran Israel War 120 Indian Worker : पश्चिम एशिया में चल रहे ईरान-इजराइल संघर्ष ने अब वैश्विक चिंता का रूप ले लिया है। इस बीच बहराइच जिले के लगभग 120 श्रमिक जो 2024 की शुरुआत में इजराइल में रोजगार के लिए गए थे, अब युद्ध के साये में फंसे हुए हैं। श्रमिकों के परिवारों की चिंता लगातार बढ़ रही है और वे सरकार से अपने परिजनों की सुरक्षित वापसी की गुहार लगा रहे हैं।
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प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की ओर से विदेशी रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पहल के तहत बहराइच जिले के 120 से अधिक श्रमिकों ने लखनऊ स्थित अलीगंज आईटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। प्रशिक्षित होने के बाद उन्हें इजराइल के विभिन्न शहरों में निर्माण कार्य, कृषि, रख-रखाव व अन्य तकनीकी पदों पर नियोजित किया गया। इन युवाओं ने बड़े उत्साह से इजराइल में काम शुरू किया और अपने परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का सपना देखा।
लेकिन अप्रैल 2025 में ईरान और इजराइल के बीच शुरू हुए सैन्य संघर्ष ने इन श्रमिकों की जिंदगी को संकट में डाल दिया। इजराइल में बमबारी, एयर रेड और सुरक्षा खतरे की आशंका ने उनकी दिनचर्या और सुरक्षा दोनों को प्रभावित किया है। अधिकांश श्रमिक दक्षिणी इजराइल के इलाकों में कार्यरत हैं, जो संघर्ष से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। श्रमिकों के पास अब न तो पर्याप्त राशन है, न ही सुरक्षित पनाहगाह। उन्हें न केवल अपनी सुरक्षा की चिंता है, बल्कि इस अस्थिरता के बीच वे मानसिक तनाव से भी गुजर रहे हैं।
बहराइच के रामगांव, रिसिया, नवाबगंज, पयागपुर, कैसरगंज जैसे क्षेत्रों से गए श्रमिकों के परिवार बेहद डरे हुए हैं। उनका कहना है कि दो दिन से कोई कॉल नहीं आ रही है। कुछ ने बताया कि आखिरी बार जब बात हुई थी तब श्रमिकों ने बताया कि वे बंकरों में छिपकर दिन गुजार रहे हैं और खाने-पीने का संकट गहराता जा रहा है। परिजनों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार इजराइल स्थित भारतीय दूतावास के माध्यम से इन श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और यदि संभव हो तो उन्हें भारत वापस लाया जाए।
इस मुद्दे को लेकर जिला श्रम विभाग ने राज्य श्रम आयुक्त को रिपोर्ट भेज दी है। श्रम कल्याण अधिकारी ने बताया कि जिले से इजराइल गए मजदूरों की सूची तैयार की जा रही है। इन सभी के परिवारों से संपर्क किया जा रहा है ताकि उनकी वर्तमान स्थिति और संपर्क की जानकारी केंद्र सरकार तक भेजी जा सके। इजराइल स्थित भारतीय दूतावास ने भी बयान जारी कर कहा है कि सभी भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि किसी भी भारतीय को कोई नुकसान न पहुंचे।
इजराइल में फंसे श्रमिकों में से अधिकांश निर्माण क्षेत्र में कार्यरत हैं। युद्ध के कारण निर्माण कार्य बंद हो चुका है, जिससे इन श्रमिकों को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है। कुछ श्रमिकों को उनके नियोक्ता अस्थायी रूप से बर्खास्त कर चुके हैं, वहीं कई के पास पैसे खत्म हो गए हैं। रोजगार की तलाश में गए इन श्रमिकों का भविष्य अब अधर में है। कुछ लोगों ने परिवारों से मदद की गुहार लगाई है, जबकि कुछ भारत लौटने की बात कर रहे हैं, पर टिकट और उड़ानों की अनिश्चितता ने उन्हें बांध रखा है।
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इस संकट में सामाजिक संगठनों और एनजीओ ने भी हस्तक्षेप किया है। कई एनजीओ जो प्रवासी श्रमिकों के हित में काम करते हैं, उन्होंने भारत सरकार को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि इन श्रमिकों को भारत वापस लाने के लिए विशेष विमान की व्यवस्था की जाए। इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है। #BringBackOurWorkers हैशटैग के साथ हजारों लोग ट्विटर और फेसबुक पर सरकार से मदद की अपील कर रहे हैं।
यह स्थिति प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों के लिए एक अग्निपरीक्षा बन गई है। एक तरफ विदेशी रोजगार के अवसर देकर सरकार ने युवाओं के लिए नई राह खोली, लेकिन ऐसे हालात में सरकार की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वे केंद्र सरकार से संपर्क में हैं और सभी जिलों से डाटा मंगवाया गया है। इजराइल के हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है।
Updated on:
21 Jun 2025 10:02 pm
Published on:
21 Jun 2025 10:01 pm