UP Cabinet Decision Yogi Adityanath : उत्तर प्रदेश सरकार अब शहरी निवासियों को मकान के साथ दुकान बनाने की सुविधा देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में भवन विकास उप विधियों में बदलाव कर मिक्स लैंड यूज को मंजूरी दी जाएगी। इससे व्यावसायिक गतिविधियों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
UP Cabinet Decision: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को आयोजित होने जा रही राज्य मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) की बैठक में प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत भरी घोषणा की जा सकती है। इस बैठक में आवास विभाग की ओर से प्रस्तुत उस अहम प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश में अब मकान के साथ-साथ दुकान या अन्य व्यावसायिक उपयोग की सुविधाएं भी एक ही भूखंड पर उपलब्ध हो सकेंगी।
गौरतलब है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में मिक्स लैंड यूज़ (Mix Land Use) यानी एक ही भूखंड पर आवासीय और व्यावसायिक दोनों तरह के निर्माण की अनुमति नहीं थी। इससे न केवल लोगों को कठिनाई होती थी, बल्कि छोटे व्यापारियों और उद्यमियों को व्यवसाय के लिए अलग से भूखंड लेने या व्यावसायिक इलाके में शिफ्ट होने की मजबूरी झेलनी पड़ती थी। इस पृष्ठभूमि में अब भवन विकास उपविधियों में व्यापक संशोधन कर इस दिशा में ऐतिहासिक परिवर्तन किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने गुजरात के मॉडल को आधार बनाते हुए यह संशोधन प्रस्ताव तैयार किया है। गुजरात में पहले से ही मिक्स लैंड यूज़ की सुविधा है, जिससे वहां के शहरी क्षेत्रों में जीवनशैली और आर्थिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिला है। यूपी सरकार अब इसी तर्ज पर प्रदेश के लोगों को मकान के साथ दुकान या छोटे कॉम्प्लेक्स, वॉशरूम आदि के निर्माण की अनुमति देने जा रही है।
भवन विकास उपविधि में जो संशोधन प्रस्तावित हैं, उनके अनुसार अब भवनों के बेसमेंट को भी व्यावसायिक कार्यों के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा। वर्तमान में बेसमेंट का उपयोग केवल पार्किंग या स्टोर रूम के रूप में ही किया जा सकता है, लेकिन अब इसमें दुकान, गोदाम या अन्य वाणिज्यिक प्रयोजनों की अनुमति मिलने से छोटे उद्यमियों को काफी सुविधा होगी।
प्रस्तावित उपविधियों में फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) को भी मौजूदा स्थिति से दोगुना तक बढ़ाने की तैयारी की गई है। वर्तमान में अधिकांश क्षेत्रों में FAR 2.5 तक सीमित है, लेकिन इसे अब 5 गुना तक करने का प्रस्ताव है। इससे छोटे भूखंडों पर भी बहुमंजिला निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे जगह का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। हालांकि, FAR में अंतिम बदलाव कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों के सुझावों के आधार पर ही तय किया जाएगा। इस पर विस्तृत चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
भवन विकास उपविधि के संशोधन प्रस्ताव में यह भी प्रावधान किया गया है कि अब 90 वर्ग मीटर या उससे अधिक के भूखंडों पर दुकान निर्माण की अनुमति मिलेगी। इससे छोटे भूखंड मालिकों को भी व्यावसायिक गतिविधियों के अवसर प्राप्त होंगे।
सरकार की इस योजना में एक और बड़ा परिवर्तन यह है कि अब 9 से 10 मीटर चौड़ी सड़कों पर भी व्यावसायिक उपयोग की छूट दी जाएगी। अभी तक केवल 12 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर ही दुकान या कॉम्प्लेक्स की अनुमति थी। इस नियम में ढील देकर सरकार अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ देना चाहती है।
प्रस्तावित उपविधियों में पार्किंग को लेकर भी अनेक संशोधन सुझाए गए हैं। अब व्यावसायिक इमारतों, स्कूल, कॉलेज, नर्सिंग होम आदि के लिए अधिक व्यवस्थित और अनुकूल पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इससे ट्रैफिक की समस्या कम होगी और सुविधाजनक पार्किंग का विकल्प मिलेगा।
लखनऊ विकास प्राधिकरण को मिलेगी जेपी एनआईसी के संचालन की जिम्मेदारी
कैबिनेट की बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव यह भी है कि लखनऊ में स्थित जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र (जेपी एनआईसी) के संचालन की जिम्मेदारी अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) को सौंपी जाएगी। सरकार चाहती है कि इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन केंद्र को PPP (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल के तहत व्यावसायिक रूप से संचालित किया जाए ताकि इसकी उपयोगिता और राजस्व क्षमता बढ़ाई जा सके।
यूपी सरकार के इस कदम से प्रदेश में शहरी विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। मिक्स लैंड यूज़ की अनुमति से न केवल आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र एक-दूसरे के पूरक बन सकेंगे, बल्कि इससे शहरों की लैंडस्केपिंग और अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। छोटे व्यापारी, स्टार्टअप्स, होम बेस्ड बिजनेस और सर्विस सेक्टर से जुड़े लोग इससे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
राज्य सरकार इस बदलाव को केवल एक नियम संशोधन के रूप में नहीं देख रही, बल्कि इसे शहरीकरण के भविष्य की नई नींव के रूप में देखा जा रहा है। मकान के साथ दुकान की सुविधा न केवल नागरिकों की आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि "एक ही छत के नीचे रहने और कमाने" के सिद्धांत को भी मजबूती प्रदान करेगी।