
स्कूल वाहनों की सख्त जांच: आज से चलेगा प्रदेशव्यापी अभियान फोटो सोर्स : Social Media
RTO Campaign UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्यभर में स्कूल वाहनों की फिटनेस की जांच के लिए एक विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है। आगामी 1 जुलाई से 15 जुलाई, 2025 तक राज्य परिवहन विभाग (RTO) द्वारा यह अभियान सभी जिलों में एक साथ संचालित किया जाएगा, जिसमें अनफिट स्कूल वाहनों की पहचान कर उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय बच्चों के परिवहन में लापरवाही, फिटनेस में गड़बड़ी, ओवरलोडिंग और सुरक्षा मानकों की अनदेखी को देखते हुए लिया गया है। अब यदि कोई स्कूल वाहन अनफिट पाया जाता है तो उसके वाहन स्वामी के साथ-साथ संबंधित स्कूल प्रशासन के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) और परिवहन सुरक्षा मानक पहले से निर्धारित हैं, लेकिन विगत वर्षों में यह पाया गया कि कई निजी वाहन स्वामी और स्कूल इन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
विशेषकर प्राइवेट वैन, ऑटो और मिनी बसें जो बिना किसी पंजीकरण के बच्चों को ढोती हैं, उन्हें प्राथमिकता से चिह्नित कर दंडित किया जाएगा।
यदि कोई स्कूल वाहन निम्न गड़बड़ियों के साथ पाया गया तो निम्नलिखित कार्रवाइयां की जाएंगी:
| दोष | कार्रवाई |
| फिटनेस प्रमाणपत्र न होना | ₹5,000 तक जुर्माना व वाहन सीज |
| ड्राइवर का लाइसेंस न होना | ₹10,000 जुर्माना व एफआईआर |
| ओवरलोडिंग | ₹2,000 प्रति अतिरिक्त बच्चे पर जुर्माना |
| स्कूल प्रशासन की लापरवाही | नोटिस, मान्यता निरस्त की सिफारिश |
| बार-बार उल्लंघन | वाहन का पंजीकरण निरस्त |
परिवहन विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि स्कूल प्रबंधक स्वयं जिम्मेदार माने जाएंगे यदि वे किसी अनफिट या अपंजीकृत वाहन को छात्रों के लिए सेवा में लगाते हैं। स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने कॉन्ट्रैक्टेड वाहनों की संपूर्ण जांच कर यह सुनिश्चित करें कि वाहन सभी नियमों के अनुरूप हों। जिन स्कूलों ने ठेके पर निजी वैन या मिनी बसें लगा रखी हैं, उन्हें भी जांच कर यह सुनिश्चित करना होगा कि ठेकेदारों द्वारा फिट और नियमबद्ध वाहन ही लगाए जा रहे हैं।
वर्ष 2023 और 2024 में प्रदेश के कई जिलों जैसे बरेली, मथुरा, कानपुर और आजमगढ़ में स्कूल वैन दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें बच्चों को चोटें आई थीं और एक-दो मामलों में मृत्यु भी हुई। इन घटनाओं ने प्रशासन और अभिभावकों दोनों को झकझोर दिया। प्रारंभिक जांच में यही पाया गया था कि वाहन या तो ओवरलोडेड थे, या उनके ब्रेक, स्टीयरिंग जैसे यांत्रिक उपकरण ठीक से काम नहीं कर रहे थे। इसी वजह से इस वर्ष अभियान को और अधिक व्यापक और सख्त बनाया गया है।
आरटीओ विभाग ने अभिभावकों से भी सहयोग की अपील की है। यदि उन्हें अपने बच्चों के स्कूल वाहन में कोई खामी, अधिक भीड़, तेज रफ्तार या लापरवाही नजर आती है, तो वे इसकी सूचना नजदीकी परिवहन कार्यालय या 1095 हेल्पलाइन पर दे सकते हैं। इसके अलावा विभाग जल्द ही एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने की योजना बना रहा है, जिसमें स्कूल वाहन की जानकारी दर्ज कर उसकी वैधता जांची जा सकेगी।
यह अभियान केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी है। एक अभिभावक को अपने बच्चे को स्कूल भेजते समय यह विश्वास होना चाहिए कि उसका बच्चा सुरक्षित हाथों में है। सरकार, स्कूल, वाहन चालक और माता-पिता सभी की साझा ज़िम्मेदारी है कि स्कूली बच्चों की सड़क सुरक्षा से कोई समझौता न किया जाए।
Published on:
01 Jul 2025 08:32 am
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