Vande Mataram: संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम को लेकर आज भाषण दिया। इसके बाद एक बार फिर से देश में वंदे मातरम पर बहस खड़ी हो गई है। आपको बता दूं कि बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित 'वंदे मातरम' को 150 साल पूरे हो चुके हैं।
Vande Mataram Debate in Lok Sabha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि जब वंदे मातरम के 100 साल पूरे हुए, तो देश में आपातकाल लगाकर संविधान का गला घोंट दिया गया था।
Vande Mataram 150th Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंदे मातरम की 100 वीं वर्षगांठ पर और देश आपातकाल की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ था। पीएम मोदी लोकसभा में वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत कर रहे थे। आइए यहां जानते हैं उन्होंने लोकसभा में और क्या-क्या कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "जब वंदे मातरम के 50 वर्ष पूरे हुए, तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। वंदे मातरम के जब 100 साल पूरे हुए, तो देश आपातकाल की ज़ंजीरों में जकड़ा हुआ था। उस समय, संविधान का गला घोंटा गया था, और देशभक्ति के लिए जीने-मरने वालों को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया था। दुर्भाग्य से, भारत एक काले दौर से गुजर रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के शीतकालीन सत्र में कहा कि आपातकाल हमारे इतिहास का एक काला अध्याय था। अब हमारे पास वंदे मातरम की महानता को पुनर्स्थापित करने का अवसर है और मेरा मानना है कि इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। वंदे मातरम के मंत्र ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश को शक्ति और प्रेरणा दी। इस मंत्र ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी तथा साहस और दृढ़ संकल्प का मार्ग दिखाया।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'वंदे मातरम केवल राजनीतिक स्वतंत्रता का मंत्र नहीं है बल्कि यह भारतमाता को उपनिवेशवाद के अवशेषों से मुक्त करने के लिए एक पवित्र युद्धघोष था। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।
अंग्रेजों ने 1905 में जब बंगाल का विभाजन करवा दिया, तब वंदे मातरम चट्टान की तरह खड़ा रहा और हम भारतीयों को एकता की प्रेरणा देता रहा।
बंकिम (चन्द्र चटर्जी) दा ने वंदे मातरम् उस समय लिखा था जब भारत को नीची दृष्टि से देखना फैशन बन गया था। वंदे मातरम उस समय लिखा गया था जब ब्रिटिश शासक अपने राष्ट्रगान 'गॉड सेव द क्वीन' को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम यहां इसलिए बैठे हैं क्योंकि लाखों लोगों ने वंदे मातरम का नारा लगाया और आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।