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‘बुनियाद’, शोले डायरेक्टर रमेश सिप्पी का इकलौता सीरियल, जिसने परिवारों को जोड़ने का काम किया

TV Serial Buniyaad: 'शोले', 'सीता और गीता', 'शक्ति', 'शान', और 'सागर' जैसी सुपरहिट फिल्में बनाने वाले जादूगर रमेश सिप्पी ने अपनी फ़िल्मों से लोगों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। सिप्पी साहब ने टीवी पर आने वाले धारावाहिकों में भी अपना एक अलग मुकाम बनाया। उन्होंने एक ही धारावाहिक बनाया और वो था 'बुनियाद', जिसे टीवी का शोले भी कहा जाता है।

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Dec 22, 2025
80 के दशक का पॉपुलर सीरियल बुनियाद। (फोटो सोर्स: @kiranjoneja/X)

TV Serial Buniyaad: इस साल बॉलीवुड के इतिहास की कल्ट फिल्म 'शोले' ने अपनी रिलीज के 50 साल पूरे किये हैं। दिग्गज कलाकारों से सजी रमेश सिप्पी की 'शोले' साल 1975 में रिलीज हुई थी। फिल्म का शुरूआती प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, लेकिन रिलीज के एक हफ्ते बाद अचानक ही मानों चमत्कार हो गया और फिल्म के शोज हॉउसफुल जाने लगे। दर्शकों ने फिल्म को बहुत पसंद किया। वैसे तो ये बताने की जरूरत नहीं है कि फिल्म का निर्देशन फिल्म जगत के महान डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने किया था और स्क्रीनप्ले जाने-मानी जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखा था। अब जब बात हो रही है रमेश सिप्पी की तो हम साल 1986 में दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक 'बुनियाद' को कैसे भूल सकते हैं। 'बुनियाद' वो सीरियल जिसको रमेश सिप्पी ने ही बनाया था।

रमेश सिप्पी सिनेमा का वो जादूगर, जिसे अपने किरदारों और कहानी से दर्शकों के दिलों में उतरने की कला में महारथ हासिल थी। हिंदी सिनेमा को सिप्पी ने एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में दीं। 'शोले' की सफलता के बाद सिप्पी साहब के मन में एक धारावाहिक बनाने का ख्याल आया और जन्म लिया 'बुनियाद' ने।

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बुनियाद के एक सीन की फोटो। (फोटो सोर्स: @kiranjoneja/X)

उन दिनों यानी कि 80 के दशक में दूरदर्शन पर गिने चुने ही धारावाहिक प्रसारित होते थे, जिनमें 'हम लोग', रामानंद सागर की 'रामायण', बी. आर. चोपड़ा की 'महाभारत', 'नुक्कड़', 'फौजी', 'मालगुडी डेज', 'उड़ान', 'ब्योमकेश बख्शी', और 'चित्रहार-रंगोली' जैसे चुनिंदा नाम थे। और यही वो दौर था जब रमेश सिप्पी ने 'बुनियाद' बनाने का फैसला किया।

'बुनियाद' नेशनल टीवी पर प्रसारित होने वाला वो सीरियल बना जिसने परिवारों को बांधने का काम किया। 80 के उस दौर में जब लोग रामायण और महाभारत देखने के लिए नहा-धोकर टीवी के सामने चप्पल उतार कर बैठते थे, तब 1886 के 'बुनियाद' ने भारतियों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर सार्थक और अनुकूल असर डाला। 'बुनियाद' की कहानी लोगों को अपनी सी लगती थी क्योंकि उसमें 1947 में हुए देश के बंटवारे की दास्तां जो दिखाई गई थी। शायद यही वजह थी कि 'बुनियाद' को देखने के लिए लोग टीवी सेट पर आंखे गड़ा कर बैठ जाते थे।

बुनियाद के एक सीन की फोटो। (फोटो सोर्स: @FilmHistoryPic/X)

दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले इस धारावाहिक ने उस दौर के उन धारावाहिकों को कड़ी टक्कर दी जो अपनी दमदार कहानी और किरदारों के दम पर शिखर पर थे। रमेश सिप्पी के 'बुनियाद' की लोकप्रियता भी उनसे कम नहीं थी। अगर आज के तमाम सीरियल्स को देखा जाए तो 'बुनियाद' की ऊंचाई तक कोई नहीं पहुंच पाया है।

‘बुनियाद’ एक ऐसा फैमिली ड्रामा था, जिसकी कहानी में कई पीढ़ियों की कहानियां कही गयीं थीं। मगर ये सिप्पी साहब का ही कमाल था कि उन्होंने न सिर्फ़ चरित्रों में बहुत गहराई दिखाई थी, बल्कि एक दिलचस्प स्टोरीलाइन भी तैयार कराई। ‘बुनियाद’, लाहौर से आने वाले एक पंजाबी परिवार की चार पीढ़ियों की 50 सालों की कहानी है। 'बुनियाद' सीरियल की कहानी मशहूर लेखक मनोहर श्याम जोशी ने लिखी थी। बता दें कि मनोहर श्याम जोशी ने ही उस दौर के लोकप्रिय धारावाहिक हम लोग की कहानी भी लिखी थी।

इस धारावाहिक की कहानी 1916 से लेकर 1978 के भारत और उसके लोगों के जीवन पर आधारित है। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद हवेलीराम मजबूरी में अपना देश और गांव (बिच्छोवाली) छोड़कर भारत आते हैं। उसके बाद वह यहां अपने परिवार के साथ कैसे सर्वाइव करते हैं, इसकी कहानी दिखाई गई है।

बुनियाद के एक सीन की फोटो। (फोटो सोर्स: @FilmHistoryPic/X)

मास्टर हवेलीराम (आलोकनाथ), लज्जो-जी (अनिता कंवर), वीरावली (किरण जुनेजा अब रमेश सिप्पी की पत्नी), लाला वृषभान (विजयेंद्र घाटगे), भाई आत्मनाद (गोगा कपूर), चाची (लीला मिश्रा), कुलभूषण (दलीप ताहिल), रन्नो (पल्लवी जोशी) रज्जो (नीना गुप्ता), सुलोचना (सोनी राजदान), आशा शर्मा, आशा सचदेव, कृतिका देसाई जैसे कई दिग्गज कलाकारों से सजे 'बुनियाद' के पात्रों की जिंदगी और कहानी को बहुत ही बेहद मेहनत से गढ़ा गया था। जिस कारण ये बेहद खास बन गया था। इतना ही नहीं इसके सेट की सजावट, किरदारों के परिधान, खान-पान, गाने और भाषा, आदि उस समय के दौर से बखूबी मेल खाते थे। 'बुनियाद' को उस दौर का मल्टीस्टारर धारावाहिक भी कहा जाता था, ठीक वैसे जैसे शोले एक मल्टीस्टारर फिल्म थी। तभी तो सिप्पी साहब ने इसमें सभी मंझे हुए अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को कास्ट किया था। इन्हीं कलाकारों ने अपने सशक्त अभिनय से धारावाहिक को रियल बनाया था।

लोगों के दिलों को छूने और उनके दर्द को समझने वाले धारावाहिक 'बुनियाद' को बनाने के लिए रमेश सिप्पी साहब की जितनी तारीफ की जाए कम है। इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि रमेश सिप्पी साहब को 'शोले' बनाने से ज्यादा क्रेडिट ‘बुनियाद’ के लिए मिलना चाहिये।

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Updated on:
22 Dec 2025 12:48 pm
Published on:
22 Dec 2025 12:00 pm
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