रायपुर

CG Health: छत्तीसगढ़ में बिना डिग्री के खोल दिए अस्पताल, सामने आए 3 ऐसे केस, मरीज की मौत के बाद हुआ खुलासा

CG Health: बिलासपुर के जो युवक जनरल सर्जन बताकर किसी निजी अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहा था, उनके गायब होने से मामला संदिग्ध हो गया है। अगर युवक जनरल सर्जरी एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन कराने नहीं पहुंचता तो ...

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Jun 12, 2024

CG Health: प्रदेश में दूसरे के लाइसेंस या पंजीयन पर डॉक्टरी करना चौंकाने वाला है। यानी संबंधित व्यक्ति के पास डिग्री नहीं है, लेकिन वह प्रैक्टिस कर रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसे भला कोई कैसे कर सकता है, लेकिन ये सही है। इस तरह का अजब-गजब मामला छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के पास पहुंच गया है। ऐसे तीन से ज्यादा केस है। ऐसे मामलों की जांच भी की जा रही है।

CG Health: बिलासपुर के जो युवक जनरल सर्जन बताकर किसी निजी अस्पताल में प्रैक्टिस कर रहा था, उनके गायब होने से मामला संदिग्ध हो गया है। अगर युवक जनरल सर्जरी एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन कराने नहीं पहुंचता तो मामले का खुलासा ही नहीं होता। ऐसे में एसोसिएशन ने बिलासपुर सीएमएचओ से डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन के बारे में जानकारी मांगी। सीएमएचओ के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं थी तो छग मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखा गया।

काउंसिल की पड़ताल में पता चला कि युवक रजिस्टर्ड नहीं है। ऐसा खुलासा होने के बाद युवक बिलासपुर से गायब हो गया है। छुरा वाले मामले में अस्पताल संचालक नॉन मेडिको है। वहां डॉक्टरों की लापरवाही से महिला का केस बिगड़ने व महिला की मौत का मामना सामने आया है।

CG Health: विदेश से डिग्री ली, लेकिन नहीं कराया पंजीयन

अंबिकापुर के एक फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट ने छग मेडिकल काउंसिल ( CG Medical Council ) में पंजीयन नहीं कराया था। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम पास है भी नहीं। दरअसल निजी अस्पताल में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान एक बच्ची की मौत हो गई। जांच के बाद पता चला कि विदेश से पढ़े डॉक्टर बच्ची का इलाज कर रहा था। यह मामला भी छग मेडिकल काउंसिल पहुंचा था।

डॉक्टरों का पंजीयन है या नहीं, ज्यादातर सीएमएचओ गंभीर नहीं

नर्सिंग होम एक्ट ( Nursing Home Act ) के तहत निजी अस्पताल शुरू होने के पहले सीएमएचओ की टीम निरीक्षण करती है। इसमें सेवाएं देने वाले सभी डॉक्टरों की डिग्री समेत छग मेडिकल काउंसिल में पंजीयन है या नहीं, इसकी पड़ताल करती है। मामले में प्रदेश के ज्यादातर सीएमएचओ लापरवाही बरत रहे हैं। जब कोई शिकायत होती है तो हाथ खड़े कर दिए जाते हैं और छग मेडिकल काउंसिल से पंजीयन की जानकारी मांगी जाती है। जबकि जिलों में सीएमएचओ नर्सिंग होम एक्ट का नोडल अफसर होता है। उन्हीं की जांच में एक्ट के तहत अस्पतालों का पंजीयन होता है।

केस-1

बिलासपुर का एक युवक अपने आपको सर्जन बताता और एक निजी अस्पताल में काम कर रहा था। युवक ने सर्जरी एसोसिएशन में पंजीयन कराना चाहा, तब खोजबीन हुई। पता चला छग मेडिकल काउंसिल में उनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। अब युवक गायब हो गया है।

केस-2

गरियाबंद के छुरा में एक निजी अस्पताल में एक मरीज की मौत हो गई। जांच में पता चला कि अस्पताल संचालक के पास डॉक्टर की डिग्री नहीं है। बाहर से डॉक्टर बुलाकर मरीजों का इलाज किया जाता है। शिकायत छग मेडिकल काउंसिल तक पहुंच चुकी है।

आईएमए प्रदेशाध्यक्ष डॉ. विनोद तिवारी ने बताया कि बिना डिग्री प्रैक्टिस करना अचंभित करता है। हमने ऐसे मामले की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से की है। शिकायत के बाद ही छग मेडिकल काउंसिल हरकत में आया है।

Story by- पीलूराम साहू

Updated on:
12 Jun 2024 01:56 pm
Published on:
12 Jun 2024 01:04 pm
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