विदेशी बबूल (जूली फ्लोरा) भूमि की उर्वरता घटाकर उसे धीरे-धीरे बंजर बना देता है। पढ़ें गोविंद मंगलाव की रिपोर्ट-
श्रीगंगानगर/बीरमाना. कभी हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से बोया गया विदेशी बबूल (जूली फ्लोरा) अब क्षेत्र की स्थानीय वनस्पतियों, पेड़ों और भूमि की उर्वरता को निगल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि शुरू में हरियाली लाने के लिए इस विदेशी प्रजाति का बीज फैलाया गया था, लेकिन अब यह बेलगाम रूप से फैल रहा है।
गांवों के धोरों पर जहां पहले केर, फोग, खींप, जाल, रोहिड़ा और बुई जैसी प्रजातियां प्रचुर मात्रा में थीं, वहां अब केवल बिलायती बबूल के झुंड दिखाई देते हैं। इसकी जड़ें गहराई तक जाकर मिट्टी का सारा जल और पोषण सोख लेती हैं, जिससे बाकी पौधे सूख जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार यह पौधा भूमि की उर्वरता घटाकर उसे धीरे-धीरे बंजर बना देता है। इसकी वृद्धि इतनी तेज है कि भेड़-बकरियों की ओर से खाई गई पत्तियों से बीज उनके मल-मूत्र के माध्यम से फैलते हैं और नए पौधे उग आते हैं।
जूलीफ्लोरा ने अब इंदिरा गांधी मुख्य नहर और अनूपगढ़ शाखा नहर के दोनों किनारों पर भी गहरी जड़ें जमा ली हैं। गर्मी में इन पेड़ों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे अन्य वनस्पतियां भी जलकर नष्ट हो जाती हैं।
राजियासर, श्रीबिजयनगर, बीरमाना, सूरतगढ़, दस आरडी, अर्जुनसर मार्ग सहित कई सड़कों के किनारे यह बबूल घने झुंडों में खड़ा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
बीरमाना, मालेर, हरिसिंहपुरा, गोपालसर, सुखचैनपुरा और भोपालपुरा जैसे गांवों के आसपास अब केवल यही बबूल नजर आता हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।
जूली फ्लोरा के कारण जमीन अनुपयोगी हो रही है, मच्छर बढ़ रहे हैं जिससे बीमारियां फैल रही हैं। जब ग्रामीण इसे हटाने का प्रयास करते हैं तो वन विभाग रोक देता है।
सरजीत टाक, प्रशासक ग्राम पंचायत बीरमाना