Indian Property in London: कभी भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन में रह कर भारतीयों ने संपत्ति के मामले में अंग्रेजों को पीछे छोड़ दिया है। लंदन में रहने वाले भारतवंशियों ने यह कमाल किया है।
Indian Property in London: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक दावा वायरल हो रहा है। उसमें कहा जा रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े शहरों में एक लंदन ( London) में अब अंग्रेजों से ज्यादा प्रॉपर्टी ( Property) भारतीयों के पास है। इस दावे के साथ लोग कई तरह की बातें बना रहे हैं। चूंकि लंदन उस ब्रिटेन की राजधानी है, जिसने 1947 में आजादी से पहले भारत पर लंबे समय तक शासन किया था। इस कारण दावे को लोग रिवर्स कॉलोनियलिज्म से भी जोड़ रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस वायरल दावे के पीछे कितनी सच्चाई है। दरअसल लंदन में संपत्ति के मालिकों में अब भारतीयों ( Indians in UK) की संख्या सबसे अधिक है, जो अंग्रेजों से भी आगे निकल गए हैं। प्रमुख आवासीय डेवलपर बैरेट लंदन (Barratt London) ने उजागर किया है। यह प्रवृत्ति लंबे समय से स्थापित निवासियों, अनिवासी भारतीयों ( nri property in london), छात्रों, परिवारों और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के मिश्रण से प्रेरित है।
सोथेबीज की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में लंदन में प्रॉपर्टी खरीदने ( Property Rate in London) के मामले में भारत के अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स यानी भारत के टॉप रईस लोग सबसे आगे रहे। इस रिपोर्ट में भी बताया गया कि अब लंदन में अंग्रेजों से ज्यादा प्रॉपर्टी भारतीयों के पास (more indians own property in london) है। ब्रिटेन पर भारतीयों का प्रभाव लंदन की संपत्ति के स्वामित्व से कहीं अधिक है।
मसलन तथाकथित "रिवर्स कॉलोनाइजेशन" सदियों पुराना है। उदाहरण के लिए, भारतीय व्यंजनों ने ब्रिटिश खान-पान की आदतों में क्रांति ला दी है। भारतीय वास्तुकला को ब्रिटेन में आयात किया गया (उदाहरण के लिए, ब्राइटन पैवेलियन, सेज़िनकोट हाउस, आदि)। भारतीय परिधान को ब्रिटेन ने भी अपनाया है। उदाहरण के लिए, पायजामा और शॉल आदि। भारतीय भाषाओं ने अंग्रेजी भाषा के विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया (जैसे, लूट, निर्वाण, पायजामा, शैम्पू, शॉल, बंगला, जंगल, पंडित और ठग आदि। फिर वहां महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी समुदाय है जो आज ब्रिटिश समाज में बहुत बड़ा योगदान दे रहा है।
ब्रिटेन के टॉप डेवलपर में से एक Barratt London ने लंदन रियल एस्टेट को लेकर करीब एक साल पहले एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में पहली बार यह बात सामने आई थी कि ब्रिटेन की राजधानी लंदन के प्रॉपर्टी मार्केट पर भारतीयों ने प्रभुत्व की स्थिति बना ली है। Barratt London के अनुसार, लंदन में रियल एस्टेट के मामले में भारतीय लोग अंग्रेजों से आगे निकल चुके हैं और प्रॉपर्टी के स्वामित्व के मामले में पहले स्थान पर हैं।
Barratt London की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन की राजधानी में प्रॉपर्टी रखने वाले कई भारतीय ऐसे हैं, जो कई पीढ़ियों से लंदन में रह रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी इन्हीं भारतीयों के पास है। उसके बाद नॉन-रजिस्टर्ड भारतीय, ब्रिटेन से बाहर कहीं रह रहे इन्वेस्टर्स और पढ़ाई-लिखाई के लिए ब्रिटेन पहुंचे विद्यार्थियों का नंबर है। राष्ट्रीयता के मामले में लंदन में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी रखने में ब्रिटिश दूसरे स्थान पर हैं, जबकि तीसरे स्थान पर पाकिस्तानी हैं।
रियल एस्टेट कन्सल्टेंसी फर्म सोथेबीज की एक हालिया रिपोर्ट भी इस मामले में नई जानकारियां देती हैं। सोथेबीज की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल यानी 2022 में लंदन में प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में भारत के अल्ट्रा हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स यानी भारत के टॉप रईस लोग सबसे आगे रहे। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अब लंदन में अंग्रेजों से ज्यादा प्रॉपर्टी भारतीयों के पास है।
असल में Barratt London का दावा है कि भारतीय लोग अभी भी लंदन में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए मोटी रकम खर्च करने को तैयार बैठे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी लंदन में प्रॉपर्टी खरीदने वालों में भारतीय अव्वल हैं। भारतीय लोग ब्रिटेन की राजधानी में एक से लेकर 3 बेडरूम के अपार्टमेंट के लिए 2.9 लाख पाउंड से 4.5 लाख पाउंड तक खर्च करने के लिए तैयार हैं। भारतीय करेंसी में यह रकम 3 करोड़ से 4.5 करोड़ रुपये हो जाती है।
ध्यान रहे कि अब Barratt London की रिपोर्ट हो या सोथेबीज की, उनके दावे कहीं से अतिश्योक्ति नहीं लगते हैं। इसे समझने के लिए हम कुछ चुनिंदा मामलों को उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं। ब्रिटेन के सबसे बड़े अमीर अभी भारतीय मूल के हिंदुजा ब्रदर्स हैं। उनके पास लंदन की सबसे महंगी प्रॉपर्टी है। उन्होंने कई ऐतिहासिक इमारतें खरीदी हैं। भारतीय मूल के लक्ष्मी निवास मित्तल और अनिल अग्रवाल भी लंदन के महंगे घरों में रहते हैं। हाल ही में मुकेश अंबानी ने भी ब्रिटेन में एक लग्जरी प्रॉपर्टी खरीदी थी। भारतीय धनकुबेरों के लिए लंदन लंबे समय से पहली विदेशी पसंद रहा है।