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Love Relation- प्रेम संबंध में आप सफल होंगे या असफल ऐसे पहचानें

- प्रेम संबंध क्यों होते हैं सफल या असफल तो ऐसे समझिए इसके ज्योतिषीय कारण

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Deepesh Tiwari

Jul 09, 2023

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ज्योतिष में सामान्यत: किसी भी प्रकार की समस्या के निवारण के लिए कई प्रकार के उपाय प्रदान किए जाते हैं। साथ ही हर राशि के आधार पर इसमें लगातार परिवर्तन भी देखने को मिलता है, कारण यह है कि हर राशि का अपना एक स्वामी होता है जो उस जातक को प्रभावित करता है। ऐसेे में जातक से जुडी कई चीजों पर जैसे उसके स्वयं का या विवाह या भाग्य पर इसका विशेष प्रभाव देखने को मिलता है। यहां ये भी जान लें कि आपके रिश्तों पर भी ऐसे कई ग्रहों का असर देखने को मिलता है, जिनमें से मुख्य रूप से आपके उन भावों -जो आपके संबंधों का फल प्रदान करते हैं- में बैठे ग्रहों का इफेक्ट आपको प्रभावित करता है।

दरअसल आपका कोई रिश्ता अच्छा होगा या बुरा यह सभी ग्रहों के आधार पर ही निर्भार करता है। ऐसा ही एक रिश्ता प्रेम प्रसंग या विवाह का भी होता है, वहीं ग्रहों की यहीं दृष्टि इन तमाम चीजों को प्रभावित करती है। जिससे ब्रेकअप सहित तलाक जैसी बातें काफी हद तक स्पष्ट हो जाती हैं। जहां तक रिश्तों की बात की जाए तो आज के दौर में ब्रेकअप एक बडा मुद्रदा है, जिसके लिए ग्रहों की युति मुख्य रूप से जिम्मेदार है। ऐसे में यदि आप भी अपने रिश्ते में स्थायित्व चाहते हैं तो अपने साथी के ग्रहों को एक बार अवश्य जांच लें, कि वे आपसे मेल खाते हैं या नहीं।

रिश्ते की निर्वाह की बात की जाए, तो न सिर्फ उपरोक्त जिक्र किए गए कारक ही महत्वपूर्ण नहीं होते हैं बल्कि ग्रहों की युति भी इसके लिए जिम्मेदार मानी जाती है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका रिश्ता स्थाई हो, रिश्ते में प्यार और अपनत्व भरा हो, तो ऐसे में अपने और अपने साथी के ग्रहों की दिशा के बारे में जान लेना आवश्यक हो जाता है। विशेष रूप से भारत में किसी भी वैवाहिक गठबंधन को अंतिम रूप देने से पहले कुंडली मिलान के लिए जाना एक व्यापक मानदंड है।

कुंडली मिलान करते समय एक ज्योतिषी जो पहली चीज का पता लगाता है, वह है गुण। विवाह के लिए 36 गुण में से कम से कम 18 का मिलान होना चाहिए। प्रत्येक कुंडली में ग्रह तत्वों और संयोजनों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। किसी रिश्ते की सफलता या असफलता को मुख्य रूप से निर्धारित करने वाले ग्रह शुक्र और चंद्रमा हैं। किसी भी गठबंधन के फलदायी होने के लिए दो ग्रहों का मेल होना बेहद जरुरी है। शुक्र कपल्स के बीच रोमांस और कंपैटिबिलिटी को तय करता है, जबकि चंद्रमा यह निर्धारित करता है कि संबंध कितना गहन होगा। जब शुक्र और चंद्रमा के साथ बुध भी मजबूत होता है, तो कपल्स के रिश्ते मजबूत और खुशहाल बन सकते हैं।

ऐसे समझें ग्रहों का असर
शुक्र जब कभी बहुत मजबूत होता है, तो यह जातक को कई स्तरों पर असफल कराता देता है। वहीं इसके साथ कुंडली में कुछ और ग्रह आ जाएं, तो स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है। ध्यान रहे शुक्र और राहु, शक्र और मंगल, शुक्र और शनि एक रिश्ते के लिए काफी हानिकारक ग्रह सिद्ध होते हैं। कारण ये है कि जब कभी शुक्र के साथ राहु, मंगल या शनि होते हैं, तो प्रेमियों के बीच ब्रेकअप की स्थिति में इजाफा हो जाता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र को प्रेम और भाग्य का ग्रह माना गया है जो पंचम व नवम भाव में महत्वपूर्ण होता है। जबकि शनि, राहु और केतु इसके कार्य में विघ्न लाने का काम करते हैं। वहीं इसके अलावा 3रा, 7वां और 11वां भाव इच्छा का भाव और 12वां भाव यौन सुख का भाव है।

ऐसे में अगर कुंडली में 6ठे भाव में शुक्र, मंगल और राहु हों, तो व्यक्ति का ब्रेकअप होने की अधिक संभावना होती है। वहीं यदि 8वें भाव में कोई ग्रह है, तो यह रिश्ते के लिए कोई परेशानी खडी करता है। जिसके फलस्वरूप ब्रेकअप की आशंका बनने के साथ ही स्वार्थ, गलतफहमी और गलत संचार हो सकता है। इससे इतर 5वें भाव में केतु होने पर प्रेम संबंध के टूटने का अंदेशा कम होता है।

प्रेम संबंध और कुंडली भाव
जातक की जन्म कुंडली का 5वां भाव दृष्टिकोण और प्रवृत्तियों की ओर इशारा करता है। यही भाव बुद्धि, विवेक और पुत्र का भाव भी है, ऐसे में इस भाव से प्रेम संबंधों की हमें जानकारी मिलती है। यदि आपका पंचम भाव जिसे प्रेम भाव भी कहा जाता है, शुभ ग्रहों से दृष्ट है, तो आपके प्रेम में सफल होने की संभावना बढ जाती है। वहीं यदि प्रेम भाव यानि पंचम भाव का स्वामी पंचम भाव में ही है और कमजोर है या पाप ग्रहों से दृष्ट है, तो व्यक्ति के जीवन में या तो प्रेम नहीं आता या कई बार आने के बावजद छूट जाता है। कुल मिलाकर इनका प्रेम किसी मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है।

इस तरह यह भी माना जाता है कि यदि कुंडली में शुक्र, चंद्र, मंगल और पंचम भाव के साथ ही पंचम भाव का स्वामी भी अच्छी और शुभ स्थिति में हो, तो इन ग्रहों की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा में जातक प्रेम मुक्त हो जाता है। यहां ग्रहों की अच्छी स्थिति के फलस्वरूप जातक को उसके जीवन में उसका प्रेम अवश्य मिलने के साथ ही सफल भी रहता है।

रिश्तों के असफलता का कारण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ खास परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जिनके जातक की कुंडली में मौजूद होने पर जातक को प्रेम जीवन में भी धोखा मिलने व रिश्तों के टूटने का दुख सहन करना पड़ता है। इन ग्रहों की स्थिति न केवल जातक के प्रेम जीवन में परेशानियां पैदा करती हैं बल्कि ऐसे में जातक कई तरह की दिक् कतों के चलते इधर-उधर भटकने को मजबूर रहता है। साथ ही ऐसे जातक को कई बार धोखा भी खाना पडता है। कुल मिलाकर ग्रह ही यह बताते हैं कि आपका प्यार आपको मिलेगा या नहीं। शुक्र और मंगल की दशा व दिशा जीवन में प्रेम और आकर्षण बढ़ाने वाली मानी जाती है। वहीं ऐसे में यदि जातक की कुंडली में शनि के असर या केतु ग्रह की स्थिति बनती है, तो व्यक्ति के प्रेम जीवन में परेशानियां पैदा हो जाती हैं। ऐसे में इनके बीच झगड़े हो के साथ ही कई बार रिश्ता भी टूट जाता है।

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प्रेम संबंध : कुंडली में प्रेम योग
प्रेम संबंध के योग के लिए जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह को काफी खास माना जाता है। ऐसे में शुक्र की अच्छी स्थिति प्रेम में सफलता की ओर इशारा करती है। आपकी कुंडली में यदि शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी है, तो ऐसा माना जाता है कि आपको जीवन में प्रेम जरूर मिलेगा। वहीं चंद्रमा व्यक्ति की कल्पनाशक्ति में इजाफा करता है साथ ही जातक के जीवन में एक साथी की जरूरत को बढाता है। चंद्र की स्थिति भी प्रेम के लिए बहुत खास मानी गई है कारण ये है कि यह आपके मन को नियंत्रित करता हैै, इसी कारण शुक्र के साथ चंद्रमा की अच्छी स्थिति भी प्रेम संबंधों के लिए जरूरी है, क्योंकि इसी के चलते व्यक्ति अपने प्रेम जीवन को उचित दिशा दे पाता है।

ज्योतिष में मंगल ग्रह को ऊर्जा का ग्रह माना गया है। ऐसे में किसी भी कार्य को करने के लिए व्यक्ति को ऊर्जा की जरूरत होती है। वहीं किसी को पसंद करने के मामले में जरूरी है कि आप उससे अपने दिल की बात कह सकें। ििइस स्थत में मंगल आपको ऐसा करने का साहस देता है। कारण ये है कि इसके बिना यानि प्यार का इजहार किए बिना या इकरार किए बिना, जीवन में प्यार का कोई मतलब नहीं होता है। कुल मिलाकर इस पूरे मामले में मंगल ग्रह का भी विशेष महत्व होता है।

वहीं कुंडली में प्रेम योग का निर्माण शुक्र और चंद्रमा की स्थिति भी बनाती है। वहीं शनि देव के शुक्र और चंद्रमा के साथ स्थित होने पर या शनि की उन पर दृष्टि होने पर वह प्रेम योग को दूषित कर देता है, कारण ये है कि चंद्रमा का शनि से मिलन विष योग का निर्माण करता है। शुक्र के साथ शनि की युति यूं तो बहुत विशेष होती है लेकिन प्रेम के मामले में यह स्थिति साथी से अलगाव को उत्पन्न कर देती है। जिसके कारण जातक को अपने प्रिय साथी से मनमुटाव का सामना करना होता है और वहीं ये छोटी-छोटी बातें धीरे-धीरे बड़ी हो जाने के चलते जातक अपने साथी से दूर हो जाते हैं।

प्रेम विवाह की कुंडली में संभावनाएं
जानकारो के अनुसार ज्योतिष की मदद से ये तक पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति का प्रेम विवाह होगा या अरेंज मैरिज होगा। दरअसल इस बात का स्पष्ट संकेत ग्रहों की युति देती है। इसके तहत विवाह योग्य आयु में किस ग्रह की दशा चल रही है, वहीं ग्रह संकेत देता है कि आपका प्रेम विवाह होगा या पारंपरिक विवाह यानि अरेंज मैरिज। दरअसल हम जब किसी से प्यार करते हैं, तो हमारा मन चाहता है कि हमारा जीवन साथी वही बने, इसी कारण अनेक बार बातों को घर के लोग मान लेते हैं। परंतु अनेक बार काफी विरोध का भी सामना करना पड़ता है, जिससे अपना आत्मविश्वास खोने के चलते जातक अपने साथी को जीवनसाथी नहीं बना पाते। यहां ये भी जान लें कि ऐसे कई लोग भी हैं तो अपना प्यार पाने के लिए अथक प्रयास करते हुए तमाम विरोध के बावजूद अपना प्यार पाने में सफल हो जाते हैं।

दरअसल ज्योतिष के अनुसार कुंडली में ग्रहों की कुछ विशेष स्थितियां स्पष्ट रूप से प्रेम विवाह का संकेत देती हैं। कुंडली का 7वां भाव विवाह का भाव भी माना जाता है। ऐसे में कुंडली के 5वें भाव और 7वें भाव में परस्पर संबंध होने पर व्यक्ति के लिए प्रेम विवाह करना आसान होता है।

कुंडली में विशेष रूप से 5वें, 11वें या 7वें घर में राहु और शक्र की एक साथ उपस्थिति प्रेम विवाह का स्पष्ट संकेत देती है। वहीं कुछ अन्य मान्यताओं के मुताबिक लग्न या सप्तम में मंगल और शुक्र की स्थिति भी प्रेम विवाह का संकेत करती है।
शुक्र और चंद्रमा का एक साथ होना या एक दूसरे पर इनकी दृष्टि होना या गोचर करना भी प्रेम विवाह के योग का निर्माण करता है।

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प्रेम विवाह को कुंडली के भाव से ऐसे समझें
शुक्र और चन्द्र ग्रह कुंडली में पंचमेश और सप्तमेश होकर एक दूसरे के भाव में स्थित होते हुए लग्न से संबंध बनाते हैं, तो लग्न और त्रिभुज का संबंध होने पर भी जातक का प्रेम विवाह होता है।
पंचम भाव का कुंडली में नवम भाव से संबंधित होने पर प्रेम विवाह की संभावना में वृद्धि हा़े जाती है।
सप्तमेश और पंचमेश के कुंडली में एक दूसरे के नक्षत्रों में स्थित होने पर प्रेम विवाह के योग का निर्माण होता है।
कुंडली में पंचम और सप्तम का स्वामी पंचम, एकादश, लग्न या सप्तम भाव में युति करता है, तो यह प्रेम संबंधों को भी मजबूत आने के साथ ही प्रेम विवाह की स्थिति उत्पन्न करता है। जातक का प्रेम विवाह ऐसी स्थिति में लंबे समय तक चलता है।
कुंडली में पंचम या सप्तम भाव से राहु का संबंध हो या इसकी शुक्र की युति हो, तो यह प्रेम विवाह की संभावना बनती है। ऐसे विवाह अंतर्जातीय भी होता है।
कुंडली में शुक्र के साथ मंगल, पंचम या सप्तम भाव में स्थित होने पर यह प्रेम को विवाह में बदलने में सहायक होता है। परंतु जीवनसाथी ऐसे विवाह के बाद एक-दूसरे के साथ लंबे समय तक नहीं रह पाते हैं।
यदि पंचम भाव से कुंडली के लग्न भाव के स्वामी यानि लग्न का संबंध हो साथ ही पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव से भी संबंधित हो, तो एक अच्छे प्रेम विवाह की संभावना बनती है।

कुंडली में प्रेम योग की विफलता के कारण
कुंडली में प्रेम विवाह के योग होने के बावजूद यदि शुक्र ग्रह अशुभ ग्रहों के प्रभाव में है या पापकर्तरी योग से जुडा है, तो प्रेम विवाह में परेशानी तो होती ही है साथ ही यदि विवाह हो भी जाए तो भी बाद में परेशानियों से दो-चार होना ही पड़ता है।
सप्तम भाव अशुभ ग्रहों की दृष्टि या संबंध से हो या पापकर्तरी योग में हो, तो ऐसी स्थिति में प्रेम विवाह में अनेक परेशानियां आती हंै साथ ही विवाह में भी काफी देर होती है। वहीं विवाह बाद भी जातक को उस विवाह को चलाने के लिए काफी कठिनाइया उठानी पड़ती है।
पंचम भाव का स्वामी कुण्डली में अष्टम भाव में जाकर नीच राशि में जाता है, ऐेसे में ये जातक पूर्व जन्म के कर्मों के कारण धोखा खाते है या इन्हें प्रेम संबंधों में परेशानी होती है। किसी कारण यदि प्रेम विवाह हो भी जाता है, तो भी जीवनसाथी के सुख से जातक महरूम रहता है।
शुक्र किसी कुंडली में छठे, आठवें या लग्न भाव से बारहवें भाव में हो, तो प्रेम की संभावनाएं बनती हैं। परंतु प्रेम विवाह की संभावना नहीं होती। चहीं यदि किसी कारण प्रेमी से विवाह भी हो जाए, तो बाद भी दिक् कतें बनी ही रहती हैं।

प्रेम जीवन को ऐसे करें मजबूत-
मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए लड़कियों को मंगला गौरी का व्रत करना चाहिए।
राधा कृष्ण की पूजा हर रोज करने से प्रेम संबंध मजबूत होते हैं।
किसी जानकार को अपनी कुंडली दिखाकर उनके बताए गए उपायों को अपनाएं।
माना जाता है कि कुंडली के पंचम भाव के स्वामी को मजबूत करने से भी प्रेम संबंधों में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ जाती है।
वहीं ज्योतिष के अनुसार प्रेम विवाह के लिए पंचम के साथ सप्तम भाव के स्वामी को भी मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।
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