
Kal Bhairav Ashtami 2025 (Photo- gemini ai)
Kal Bhairav Ashtami 2025: कालभैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र रूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार, मार्गशीष माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान कालभैरव प्रकट हुए थे। इस साल 2025 में कालभैरव अष्टमी 22 नवंबर को है। इस दिन भगवान शिव ने दोपहर में भैरव का रूप धारण किया था। इसे ही कालाष्टमी भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा के अनुसार, भगवान कालभैरव का अर्थ है “भय को हरने वाला।” इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से सभी भय और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव के खून से भैरव का जन्म हुआ था। अंधकासुर जैसे दैत्य के संहार के लिए भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप में कालभैरव का निर्माण किया। भैरव का स्वरूप इतना प्रचंड था कि काल भी उनसे डरता है। इसलिए उन्हें कालभैरव कहा गया। इस दिन उनकी पूजा करने से न केवल भय और नकारात्मकता दूर होती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।
कालभैरव अष्टमी को विशेष रूप से रात्रि या प्रदोष काल में पूजा का महत्व है। पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती और कालभैरव की आराधना की जाती है। उनका वाहन काले कुत्ते की पूजा भी अनिवार्य मानी जाती है। इसके अलावा पूजा के दौरान जलेबी, इमरती, उड़द, पान, नारियल, फूल आदि अर्पित किए जाते हैं।
ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी 11 नवंबर की रात 11:08 बजे से शुरू होकर 12 नवंबर की रात 10:58 बजे तक रहेगी। इस तिथि में कालभैरव की पूजा निशा काल या मध्यरात्रि में करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से आपके भय और नकारात्मकता का नाश होता है। भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला। उनकी पूजा से जीवन के सभी भय दूर होते हैं। बीमारियों से मुक्ति मिलती है। लंबे समय से चल रही बीमारियां या मानसिक परेशानियां कम होने लगती हैं। ग्रह दोष और शत्रु बाधा से रक्षा होती है। पूजा करने से राहु, केतु और अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। पुराणों के अनुसार, भैरव की पूजा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन पूजा और दान से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
ऊनी कपड़ों का दान से अगहन महीने में ऊनी कपड़े दान करने से भैरव और शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इससे राहु-केतु के अशुभ फल कम होते हैं। जलेबी और इमरती का भोग कुत्तों को लगाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और शारीरिक, मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। गाय को जौ और गुड़ खिलाने से राहु से होने वाली तकलीफ कम होती है। काले कपड़े, तली हुई चीजें, घी, कांसे के बर्तन और जरूरतमंदों को दान करें। इससे अनजाने में किए गए पाप भी दूर होते हैं।
ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, इस दिन निम्न मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 108 बार जाप करने से भीषण कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
ॐ कालभैरवाय नमः।
ॐ भयहरणं च भैरव।
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः।
अष्टमी तिथि को सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। दीपक जलाकर भगवान शिव, माता पार्वती और कालभैरव की पूजा करें। चौमुखा दीपक के सामने फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि अर्पित करें। कालभैरव चालीसा का पाठ करें और आरती करें। जरूरतमंदों को दो रंग का कंबल दान करें। मंत्र का जाप 108 बार करें। पूजा के अंत में जलेबी या इमरती का भोग कुत्तों को अर्पित करें।
Published on:
08 Nov 2025 01:56 pm
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