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नए साल की शुरुआत में है पौष पुत्रदा एकादशी, जानें कैसे करें व्रत और पूजा विधि भी

नए साल का पहला दिन जहां महायोगों और संयोगों का दिन रहेगा वहीं दूसरे ही दिन पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। यहां पढ़ें इस एकादशी का महत्व, जानें कैसे करें पूजा, कब है पूजा का मुहूर्त...

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Sanjana Kumar

Dec 21, 2022

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भोपाल। इस बार नए साल की शुरुआत पौष पुत्रदा एकादशी से होने जा रही है। पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन संतान प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने वाले लोग सुखी जीवन जीते हैं और जीवन के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी का यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होती है। धन के साथ ही सेहत का धन भी मिलता है। मनोरोग जैसी समस्याएं हैं, तो वह दूर होती हैं। इस एकादशी को बड़ा फलदायी माना जाता है। इस उपवास को रखने से संतान से संबंधित चिंता और समस्या हल हो जाती है। आपको बता दें कि नए साल में पौष पुत्रदा एकादशी 2 जनवरी 2023 को मनाया जाएगा।

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जानें शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के अनुसार पोष पुत्रदा एकादशी नए साल में 2 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। पौष पुत्रदा एकादशी की शुरुआत 1 जनवरी 2023 को शाम 7 बजकर 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 2 जनवरी 2023 को शाम 8 बजकर 23 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 3 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 12 मिनट से 9 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

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पौष पुत्रदा एकादशी पर ऐसे करें व्रत-पूजा
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत के दिन सुबह सूर्योदय के स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब घर के पूजा स्थल पर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की विधि पूर्वक पूजा करे। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को पीला फल, पीले फूल, पंचामृत, तुलसी आदि समस्त पूजन सामग्री संबंधित मंत्रों के साथ अर्पित करें।

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जानें पौष पुत्रदा एकादशी 2023 का महत्व
भोपाल के पंडित जगदीश शर्मा बताते हैं कि एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने पर नि:संतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। पौष पुत्रदा एकादशी व्रत को रखने से योग्य संतान की कामना पूर्ण होती है। वहीं ये व्रत संतान को हर परेशानी से बचाने वाला माना गया है।

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