
UP Education Ministry oblivious Children forced to sitting on the ground in Schools(file photo)
बेसिक शक्षिा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहाल जमीन पर बैठकर शक्षिा ग्रहण करने को मजबूर है। कुर्सी मेज तो दूर की बात इनको बैठने के लिए टाट फट्टी तक नसीब नहीं हो रही है। कुछ ऐसा ही हाल है जालौन विकासखंड कुठौंद के प्राथमिक वद्यिालय बिजुआपुर दिवारा का। यहां पर शक्षिक की लापरवाही से बच्चों को वद्यिालय परिसर में कच्ची जमीन पर बैठना पड़ रहा है।
स्कूल में बच्चों के लिए न ही कोई फर्श और न ही कोई टाट फट्टी के इंतजाम। जब स्कूल के हालात की पड़ताल की गई तो वहां मौजूद शक्षिकिा सोनिका ने बताया की स्कूल में 95 बच्चों का नामांकन है। लेकिन 45 बच्चे मौके पर उपस्थित मिले। शासन की गाइड लाइन के अनुसार दिन खाने में तेहरी व दूध बच्चो को दिया जाना था ।लेकिन तेहरी बनाकर बच्चों को खिला दी गई मौके पर उपस्थित बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया बच्चो से बातचीत की गई कि दूध व फल कभी नहीं दिया गया है। वहीं स्कूल में हर जगह गंदगी फैली हुई है तथा जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए दिखाई दिए। नमामि गंगे योजना का बहुत सारा सामान पड़ा हुआ है। स्कूल परिसर में दोनों तरफ पड़े लोहे के सरियों पर बच्चे नंगे पैर बिना ड्रेस के बैठे हुए थे। वद्यिालय परिसर में लोहे के सरिया बच्चों के लिए घातक साबित हो सकते हैं वहीं पास में बना हुआ उच्च प्राथमिक वद्यिालय में तैनात एनपीआरसी देवेंद्र कुमार भी मौके पर आए और उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में ऐसा ही हाल है।
शक्षिकों की लापरवाही नौनिहालों पर पड़ रही भारी
एक और जहां शासन प्रशासन की मंशा है कि सरकारी परिषदीय स्कूल में बच्चों के लिए अच्छी व्यवस्था है और सुविधाएं देकर गुणवत्तापूर्ण शक्षिा दी जाए तो वही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में खंड शक्षिा अधिकारियों की अनदेखी और शक्षिकों की लापरवाही नौनिहालों पर भारी पड़ रही है ऐसे में बिना सुविधाओं के अभिभावक भी सरकारी स्कूलों से किनारा कर रहे हैं।
बगैर यूनिफार्म स्कूल में पढ़ाई कर रहे बच्चे
बेसिक शक्षिा विभाग द्वारा यूनिफॉर्म जूते मोजे आदि का पैसा बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेजा जा रहा है लेकिन इसके बावजूद प्राथमिक वद्यिालय बिजुआपुर दिवारा के बच्चे बगैर यूनिफार्म घरेलू कपड़ों में पढ़ाई करते नजर आ रहे हैं अब ऐसे में इसे शक्षिकों की लापरवाही माने या अधिकारियों की अनदेखी यह बात बच्चों के अभिभावकों की भी समझ में नहीं आ रही है।
Updated on:
23 Jul 2022 03:43 pm
Published on:
23 Jul 2022 03:42 pm
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