
नई दिल्ली। वाहनों के सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ करने वाले निर्माताओं की अब परेशानी बढ़ने वाली है। ज्यादा मुनाफे के लिए लोगों की जिंदगी की परवाह ना करने की इस प्रैक्टिस पर अब रोक लगेगी। केंद्र सरकार ने सुरक्षा मानकों से समझौता कर वाहनों की बिक्री को लेकर सख्त चिंता जताते हुए ऑटोमोबाइल कंपनियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे इस गलत काम पर विराम लगा दें। वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 फीसदी की कमी लाने के लिए सभी हितधारकों से चौतरफा प्रयास करने का आह्वान किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरामने ने मंगलवार को कई रिपोर्टों के ऊपर चिंता व्यक्त करते हुए वाहन निर्माताओं से सुरक्षा में खिलवाड़ के इस अक्षम्य काम को बंद करने के लिए कहा। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स द्वारा आयोजित एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि केवल कुछ निर्माताओं ने ही व्हीकल सेफ्टी रेटिंग्स सिस्टम्स को अपनाया है और वो भी केवल अपने हाई-एंड (ज्यादा दाम वाले) मॉडल्स के लिए।
सड़क पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए वाहनों में लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाने संबंधी विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान अरामने ने कहा कि उन्हें यह खबरें सुनकर बेहद धक्का लगा है कि कुछ इंडियन मॉडल्स को भारतीय सुरक्षा मानकों के लिहाज से ऑटो निर्माताओं द्वारा जानबूझकर डाउनग्रेड (कमजोर) किया जाता है। अब यह काम बंद होना चाहिए।
माफ नहीं किया जाएगा
उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा में वाहन निर्माताओं की सबसे बड़ी भूमिका होती है और वे भारत में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले वाहन देने में कोई कोताही नहीं कर सकते। जो भी भारत में अपने वाहनों को डाउनग्रेड करके बेच रहा है, उन्हें माफ नहीं किया जा सकता।
अरामने ने सुझाव दिया कि संभवता सभी ऑटो निर्माताओं को अपने सभी वाहनों के लिए सुरक्षा रेटिंग प्राप्त करना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उपभोक्ता इस बारे में जागरूक रहें कि वे क्या खरीद रहे हैं और इसके प्रभाव क्या हैं।
निर्यात किए जाने वाले मॉडल बेहतर
पिछले कुछ वर्षों में वाहन सुरक्षा समूह Global NCAP ने भारत के लिए सुरक्षित कारों के अभियान के तहत विभिन्न परीक्षणों में पाया था कि विशेष रूप से विकसित देशों में उसी मॉडल के निर्यात मॉडल की तुलना में भारत में बेचे जाने वाले कुछ मॉडल सुरक्षा रेटिंग में कमजोर थे।
सारे सेफ्टी फीचर्स हर मॉडल में होना जरूरी
दुर्घटना की स्थिति में प्रतिक्रिया करने वाले एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम और सीट बेल्ट जैसे कुछ एक्टिव सेफ्टी सिस्टम्स को भारत में लागू किया गया है, के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कुछ अंतर है और वाहन निर्माताओं को भारत में ना केवल अपने ऊंचे दाम वाले मॉडलों बल्कि सड़क पर उतरने वाले सभी वाहनों में पूरी तरह से लागू करने की आवश्यकता है।
सड़क हादसे आधे किए जाने का लक्ष्य
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 फीसदी की कमी लाने के लिए सभी हितधारकों से चौतरफा प्रयास करने का आह्वान किया है। हालात को चिंताजनक बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में अमरीका और चीन से आगे पहले नंबर पर हैं।
गडकरी अंतर्राष्ट्रीय सड़क महासंघ, इंडिया चैप्टर द्वारा शुरू की जा रही "भारत में सड़क सुरक्षा चुनौतियां और एक कार्य योजना तैयार करने" संबंधी विषय पर वेबिनार श्रृंखला का उद्घाटन कर रहे थे। देश में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं और 4.5 लाख से अधिक लोग घायल होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में प्रति दिन 415 लोगों की मौत होती है। इन हादसों से राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का 3.14 प्रतिशत सामाजिक-आर्थिक नुकसान होता है और 70 फीसदी मौतें 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग में होती हैं।
Updated on:
10 Feb 2021 08:21 pm
Published on:
09 Feb 2021 10:13 pm
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