
अयोध्या में बेटियों ने पेश की नई मिसाल पिता की अर्थी को दिया कंधा और मुखाग्नि, सैल्यूट
रोली को क्या पता था कि, वो जब परीक्षा देकर घर वापस लौटेगी तो समाज के लिए एक नई मिसाल पेश करेगी। जब भूगोल पेपर की परीक्षा देकर घर लौटी तो दृश्य देख रोली की रूह कांप गई। बीमार पिता अवधराज तिवारी नहीं रहे। उनके कोई पुत्र नहीं था। अब उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा। इस सवाल को धता बताते हुए तीनों बेटियों ने एक नई मिसाल कायम की। जिसने भी सुन, उसी ने बेटियों के साहस को सैल्यूट किया। बेटियों ने पुरानी मान्यता को तोड़ते हुए पिता की अर्थी को न केवल कंधा दिया, बल्कि श्मशान तक जाकर मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार में बेटियों के समर्थन में जनसैलाब उमड़ पड़ा।
कैंसर से हुई मुत्यु
मामला मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत मरूई गनेशपुर का है। मृतक अवधराज तिवारी का कोई बेटा नहीं है, सिर्फ तीन बेटियां ही हैं। तिवारी एक वर्ष से कैंसर से पीड़ित थे। 10 माह से टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में इलाज चल रहा था। शनिवार सुबह उनका निधन हुआ।
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दो की शादी और एक कर रही पढ़ाई
बड़ी बेटी बिंदु, दूसरी रेनू, छोटी बेटी रोली हैं। बिंदु की शादी कुमारगंज के द्विवेदीनगर गोयड़ी के अरुण द्विवेदी के साथ हुई है। दूसरी बेटी रेनू का ब्याह तेंधा निवासी देवानंद के साथ हुआ है। सबसे छोटी बेटी रोली स्नातक की पढ़ाई कर रही है।
सबसे छोटी बेटी ने दी मुखाग्नि
शनिवार सुबह रोली की भूगोल पेपर की परीक्षा देकर जब घर पहुंची तो पता चला कि, पिता नहीं रहे। तब पुरुष प्रधान समाज में बेटियों ने एक उदाहरण पेश किया। रुंधे गले और बहते आंसुओं के बीच तीनों बेटियों ने पिता के शव को श्मशान तक कंधा दिया। बेटियों ने न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि श्मशान जाकर सबसे छोटी बेटी ने मुखाग्नि दी। समाज को दिखाया कि वे बेटे से कहीं कम नहीं। इनकी मां की पहले ही मौत हो चुकी है। परिवार में पुरुष सदस्य के नाम पर कोई नहीं था।
Published on:
12 Jun 2022 02:58 pm
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