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दशहरी नहीं, गवरजीत आम के दीवाने हैं पूर्वांचल के लोग

locationलखनऊPublished: Jun 12, 2022 12:11:36 pm

Gavarjit Mango crazy पूर्वांचल में अगर पूछेंगे कि, आमों का राजा कौन है? तो कोई भी दशहरी का नाम नहीं लेगा सिर्फ एक ही नाम जुबां पर आएगा, वो है गवरजीत आम। पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती और संतकबीरनगर लोग गवरजीत आम के दीवाने हैं।

दशहरी नहीं, गवरजीत आम के दीवाने हैं पूर्वांचल के लोग

दशहरी नहीं, गवरजीत आम के दीवाने हैं पूर्वांचल के लोग

पूर्वांचल में अगर पूछेंगे कि, आमों का राजा कौन है? तो कोई भी दशहरी का नाम नहीं लेगा सिर्फ एक ही नाम जुबां पर आएगा, वो है गवरजीत आम। पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती और संतकबीरनगर लोग गवरजीत आम के दीवाने हैं। खुशबू और स्वाद में गवरजीत का कोई जवाब नहीं है। चूस कर खाने वाली यह सबसे अच्छी प्रजाति है। गवरजीत आम की अर्ली प्रजाति है। इसकी आवक दशहरी के पहले शुरू होती है। और जब तक डाल की दशहरी आती है तब तक यह खत्म हो जाता है। डाल के गवरजीत की आवक जून के दूसरे हफ्ते में शुरू हो जाती है।
गवरजीत आम का इंतजार

यूपी में तो मलिहाबाद की दशहरी, पश्चिम उत्तर प्रदेश के चौसा, वाराणसी के लंगड़ा और मुंबई के अलफांसो का तो जवाब नहीं है। पर पूर्वांचल में आम प्रेमियों को गवरजीत आम का इंतजार रहता है। अमूमन यह आम डाल पर पकता है और पत्तियों के साथ बिकता है। मांग इतनी कि इसका सौदा पेड़ में बौर आने के साथ ही हो जाता है। फुटकर खरीददार बाग से ही इसे खरीद लेते हैं। मंडी में यह कम ही आता है। फुटकर दुकानों से ही ग्राहक इसे हाथों-हाथ ले लेते हैं।
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गवरजीत का रेट 200 रुपए किग्रा

सीजन में सबसे अच्छे भाव गवरजीत के मिलते हैं। इस समय फुटकर में गवरजीत के भाव 200 रुपए प्रति किग्रा तक हैं। आम महोत्सव 2016 में गवरजीत को प्रथम पुरस्कार मिला था। गोरखपुर बस्ती मंडल के करीब 6000 हेक्टेयर में गवरजीत के बागान है। बिहार में भी गवरजीत आम का जलवा है। वहां पर इसे जर्दालु और मिठुआ नाम से पुकारा जाता है। दशहरी की तरह से भी लोग बतौर गिफ्ट देते हैं। गवरजीत तेजी से पकता है। इसे बहुत दिन तक रखा नहीं जा सकता।
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पूर्वांचल में 90 फीसद खपत

निदेशक हॉर्टिकल्चर आरके तोमर का कहना है कि, खुशबू और स्वाद में गवरजीत का कोई जवाब नहीं है। चूस कर खाने वाली यह सबसे अच्छी प्रजाति है। मई के लास्ट या जून के पहले हफ्ते में यह बाजार में आ जाती है। 90 फीसद खपत पूर्वांचल में ही हो जाती है।
गवरजीत आम को लोकप्रिय बनाने का प्रयास

ज्वाइंट डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर (बस्ती) अतुल सिंह ने बताया कि, दसहरी, लगड़ा और चौसा के मुकाबले गवरजीत कम लोकप्रिय है। पर विभाग इसे लोकप्रिय बनाने का प्रयास कर रही है। अगर कोई आम के 500 पौध खरीदता है तो उसमें 50 गवरजीत के होते हैं। गवरजीत पौध के अधिकतर खरीदार लखनऊ और अंबेडकरनगर आदि जिलों के हैं।
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