गवरजीत आम का इंतजार यूपी में तो मलिहाबाद की दशहरी, पश्चिम उत्तर प्रदेश के चौसा, वाराणसी के लंगड़ा और मुंबई के अलफांसो का तो जवाब नहीं है। पर पूर्वांचल में आम प्रेमियों को गवरजीत आम का इंतजार रहता है। अमूमन यह आम डाल पर पकता है और पत्तियों के साथ बिकता है। मांग इतनी कि इसका सौदा पेड़ में बौर आने के साथ ही हो जाता है। फुटकर खरीददार बाग से ही इसे खरीद लेते हैं। मंडी में यह कम ही आता है। फुटकर दुकानों से ही ग्राहक इसे हाथों-हाथ ले लेते हैं।
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ट्रेन में तुरंत कन्फर्म होगा तत्काल टिकट, बस यह फीचर अपनाएं गवरजीत का रेट 200 रुपए किग्रा सीजन में सबसे अच्छे भाव गवरजीत के मिलते हैं। इस समय फुटकर में गवरजीत के भाव 200 रुपए प्रति किग्रा तक हैं। आम महोत्सव 2016 में गवरजीत को प्रथम पुरस्कार मिला था। गोरखपुर बस्ती मंडल के करीब 6000 हेक्टेयर में गवरजीत के बागान है। बिहार में भी गवरजीत आम का जलवा है। वहां पर इसे जर्दालु और मिठुआ नाम से पुकारा जाता है। दशहरी की तरह से भी लोग बतौर गिफ्ट देते हैं। गवरजीत तेजी से पकता है। इसे बहुत दिन तक रखा नहीं जा सकता।
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Mango -Tomato Price Hike : इस साल मनभर कर खा नहीं सकेंगे आम मिठास होगी महंगी, बाजार में 80 रुपए किलो बिक रहा टमाटर पूर्वांचल में 90 फीसद खपत निदेशक हॉर्टिकल्चर आरके तोमर का कहना है कि, खुशबू और स्वाद में गवरजीत का कोई जवाब नहीं है। चूस कर खाने वाली यह सबसे अच्छी प्रजाति है। मई के लास्ट या जून के पहले हफ्ते में यह बाजार में आ जाती है। 90 फीसद खपत पूर्वांचल में ही हो जाती है।
गवरजीत आम को लोकप्रिय बनाने का प्रयास ज्वाइंट डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर (बस्ती) अतुल सिंह ने बताया कि, दसहरी, लगड़ा और चौसा के मुकाबले गवरजीत कम लोकप्रिय है। पर विभाग इसे लोकप्रिय बनाने का प्रयास कर रही है। अगर कोई आम के 500 पौध खरीदता है तो उसमें 50 गवरजीत के होते हैं। गवरजीत पौध के अधिकतर खरीदार लखनऊ और अंबेडकरनगर आदि जिलों के हैं।